scriptयूपी के ताकतवर मंत्री स्वामी प्रसाद मौर्य के खास की कुर्सी खतरे में, 20 साल तक अजेय रहे प्रमुख को बैकफुट पर कर हथियायी थी कुर्सी | UP Senior minister Swami Prasad Muarya close person chair in danger | Patrika News

यूपी के ताकतवर मंत्री स्वामी प्रसाद मौर्य के खास की कुर्सी खतरे में, 20 साल तक अजेय रहे प्रमुख को बैकफुट पर कर हथियायी थी कुर्सी

locationगोरखपुरPublished: Jul 23, 2018 01:57:14 pm

 
एक साल में ही पलट गई पासा
 

swami Prasad Maurya

swami Prasad Maurya

योगी सरकार के कद्दावर मंत्री स्वामी प्रसाद मौर्य के खास ब्लॉक प्रमुख की कुर्सी खतरे में पड़ गई है। बीजेपी सरकार में ही बीजेपी के इस नेता के खिलाफ अविश्वास समाजवादी पार्टी के पूर्व प्रमुख ने लाया है। आज इस पर बहस चल रहा। कुछ ही देर में साफ हो जाएगा कि कुर्सी बचेगी या जाएगी लेकिन अविश्वास लाने के लिए सदस्य संख्या को देखते हुए अनुमान लगाया जा रहा कि समाजवादी पार्टी यहाँ कद्दावर मंत्री के खास को मात देगी।
कुशीनगर के पडरौना विधानसभा क्षेत्र के सबसे बड़े ब्लॉक विशुनपुरा में प्रमुख की कुर्सी को लेकर आज अविश्वास पर बहस चल रहा। इस सीट को प्रदेश के कद्दावर मंत्री स्वामी प्रसाद मौर्य के खास गोल्डी जायसवाल की पत्नी कंचन जायसवाल ने जीती थी। इसके पूर्व इस सीट पर समाजवादी पार्टी के कद्दावर नेता विक्रमा यादव का दबदबा रहा। 20 साल तक लगातार वह या उनके परिवार का कोई सदस्य यहां से ब्लॉक प्रमुख रहा। विक्रमा यादव के इस सीट पर पकड़ का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि 2011 में हुए प्रमुख चुनाव में विक्रमा यादव को हरवाने के लिए तत्कालीन केंद्रीय राज्य मंत्री आरपीएन सिंह, बीजेपी के कई कद्दावर नेता, समाजवादी पार्टी के कई बड़े चेहरे संयुक्त प्रत्याशी के रूप में एक प्रत्याशी को लेकर आये थे लेकिन काफी रशाकशी के बाद भी संयुक्त विपक्ष का प्रत्याशी चुनाव नहीं जीत सका था। इसके पहले हुए चुनाव में अनुसूचित जाति के लिए यह सीट आरक्षित हुई तो वह अपने ड्राइवर को चुनाव जितवाने में सफल हुए थे।
हालांकि, इस बार हुए चुनाव में विशुनपुरा के ताकतवर प्रमुख विक्रमा यादव को बैकफुट पर आना पड़ा। प्रदेश सरकार के वरिष्ठ मंत्री व पडरौना के विधायक स्वामी प्रसाद मौर्य के खास गोल्डी जायसवाल अपनी पत्नी कंचन जायसवाल को एकतरफा चुनाव जितवाने में सफल हुए थे। आलम यह कि विक्रम यादव या उनके परिवार का कोई सदस्य पर्चा तक दाखिल नहीं कर सका था। पर एक साल बीतते ही कद्दावर मंत्री के खास इस प्रमुख की कुर्सी खतरे में पड़ती दिख रही है। पूर्व प्रमुख विक्रमा यादव ने बीते दिनों 77 से अधिक बीडीसी का कलेक्ट्रेट पर मार्च करा अविश्वास ला दिया। अब चर्चा यह है कि बीजेपी की सरकार में ही कद्दावर मंत्री के खास की कुर्सी खतरे में पड़ गई है। हालांकि, राजनैतिक सूत्र यह भी कह रहे कि कद्दावर मंत्री के अलावा बगल के जिले के भी एल वरिष्ठ मंत्री प्रमुखी बचाने के लिए मैनेज करने में लगे हुए थे।
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