scriptभाजपा नेता उपेन्द्र दत्त को योगी आदित्यनाथ के कारण नहीं मिल सका था दो बार टिकट, पार्टी छोड़कर उड़ाई थी बीजेपी की नींद | Upendra shukla proved his mettle in BJP to get big post | Patrika News

भाजपा नेता उपेन्द्र दत्त को योगी आदित्यनाथ के कारण नहीं मिल सका था दो बार टिकट, पार्टी छोड़कर उड़ाई थी बीजेपी की नींद

locationगोरखपुरPublished: May 10, 2020 09:56:39 pm

Submitted by:

Ashish Shukla

– 2005 में कौड़ीराम उपचुनाव में टिकट नहीं मिलने से नाराज होकर बागी होे गए थे उपेेंद्र दत्त शुक्ल, बाद में लौट आए थे संगठन में।

Upendra shukla

Upendra shukla

आशीष कुमार शुक्ला.

गोरखपुर. रविवार को यूपी बीजेपी के उपाध्यक्ष और भाजपा के कद्दावर नेता उपेन्द्र दत्त शुक्ल ने दुनिया को अलविदा कह दिया। हार्ट अटैक के बाद उन्हें गोरखपुर के एक निजी अस्पताल में दाखिल कराया गया पर डाक्टरों ने उन्हें मृत घोषित कर दिया। उपेन्द्र एकलौते ऐसे नेता थे जिनके पास संगठन संभालने का ऐसा तजुर्बा था जो बहुत कम नेताओं में होता है। कहा जाता है की एक बार उनके सामने से कोई व्यक्ति या बात गुजर गई तो वो कभी भूलते नहीं थे। संगठन में हर वर्ग को कैसे साधा जाए, इसके लिए अन्य प्रदेशों में भी पार्टी के लोग इनसे सलाह लिया करते थे। एक बार तो इन्होंने पार्टी से ही बगावत कर दी थी, जिसका खामियाजा भाजपा को ऐसा उठाना पड़ा कि फिर से मनाकर इन्हें लाया गया और पूर्वांचल में बड़ी जिम्मेदारी दी गई।
ये भी पढ़ें- उपेन्द्र दत्त शुक्ल के निधन पर डिप्टी सीएम ने कहा- बड़े भाई का यूं जाना मेरे लिए व्यक्तिगत क्षति

निर्दल ही चुनावी रणक्षेत्र में उतरे उपेंद्र दत्त शुक्ल-

जानकार बताते हैं कि कौड़ीराम विधानसभा सीट पर उपेन्द्र दत्त को 2002 में हुए विधानसभा चुनाव व 2005 में हुए उपचुनाव में पूरी उम्मीद थी कि पार्टी उनको ही प्रत्याशी बनाएगी, लेकिन यह दौर बीजेपी के फायरब्रांड नेता योगी आदित्यनाथ का था। उन्होंने मंदिर के करीबी शीतल पांडेय के लिए सिफारिश की। पार्टी ने शीतल पांडेय को चुनाव लड़ाने का फैसला किया। सालों से क्षेत्र में सक्रिय रहे उपेंद्र दत्त शुक्ल नाराज हो गए। उन्होंने तुरंत बगावत का झंड़ा बुलंद किया। भाजपा और योगी आदित्यनाथ से बगावत करते हुए उपेंद्र दत्त शुक्ल निर्दल ही चुनावी रणक्षेत्र में उतर गए। पूरे दमखम से चुनाव लड़ेे। हम तो डूबेंगे सनम तुमको भी ले डूबेंगे की तर्ज पर परिणाम भी आया। न उपेंद्र दत्त जीते और न ही भाजपा।
ये भी पढ़ें- कुदरत ने दिखाया भयावह रूप, काली आंधी-बारिश ने मचाई तबाही, ली 16 की जान, इन 20 जिलों को अलर्ट रहने की जरूरत

भाजपा ने जानी उनकी ताकत-

उपचुनाव के बाद पार्टी यह जान गई की अगर जल्द ही इन्हें भाजपा में न लाया गया तो कुछ ही दिनों बाद बड़ा नुकसान उठाना पड़ सकता है। उन्हें मनाकर संगठन में वापस लाया गया। फिर लगातार वह विभिन्न पदों पर आसीन हुए। 2013 में भाजपा ने उनको क्षेत्रीय अध्यक्ष की जिम्मेदारी दी। 2014 में बीजेपी की प्रचंड जीत के बाद फिर संगठनात्मक चुनाव हुए तो उपेंद्र दत्त शुक्ला को पुनः क्षेत्रीय अध्यक्ष पद के लिए उपयुक्त संगठनकर्ता माना गया। लेकिन 2017 में फिर भाजपा ने उनको विधानसभा का टिकट नहीं दिया। पार्टी सूत्र बताते हैं कि सहजनवां से उपेंद्र दत्त शुक्ल टिकट के दावेदारों में शामिल थे, लेकिन उनकी जगह शीतल पांडेय को प्रत्याशी बनाया गया। उपेंद्र दत्त शुक्ल संगठन की झंड़ाबरदारी करते रहे। जब योगी आदित्यनाथ सीएम बने तो गोरखपुर सीट पर उपचुनाव में इन्हें मौका दिया गया, लेकिन यहां भाजपा की हार हुई। सपा समर्थित उम्मीदवार प्रवीण निषाद ने इन्हें हरा दिया था।
loksabha entry point

ट्रेंडिंग वीडियो