एक ही समय पर गांव में जाकर राजस्व और बीमारों के इलाज के लिए बाकायदा 50 मेडिकल टीमें बनाई गईं हैं। ये टीमें रोजाना दो-दो गांवों में ओपीडी लगाकर बीमार लोगों को उनके दर पर ही इलाज मुहैया कराएंगी। मेडिकल टीमों के साथ ही राजस्व विभाग की टीमें भी होंगी जो सम्बंधित गांवों में जाएंगी। मेडिकल टीम में सीएचसी-पीएचसी, जिला अस्पताल और मेडिकल कॉलेज के चिकित्सक शामिल होंगे। इस टीम में एम्स के डॉक्टर को भी शामिल करने की कोशिश की जा रही है।
रोस्टर के मुताबिक गांवों में लगेगी ओपीडी
ग्रामीणों के इलाज के लिए मेडिकल और विवाद सुलझाने के लिए राजस्व टीमें गांवों में कब कब पहुंचेंगी इसके लिये बकायदा रोस्टर तैयार किया जा रहा है। रोस्टर के मुताबिक जिस गांव में ओपीडी लगने वाली होगी वहां दो दिन पहले ही इसकी मुनादी और प्रचार प्रसार कराया जाएगा, ताकि जिन्हें इलाज कराना हो वो समय पर कैंप पर पहुंचकर इसका लाभ ले सकें।
गांवों में लगेगी ओपीडी, अस्पतालों में नहीं होगी भीड़
ज़िलधिकारी के. विजयेंद्र पांडियन का कहना है कि लॉक डाउन में छूट मिलने के साथ ही लोगों की आवाजाही भी काफी बढ़ गई है। ऐसे में इलाज के लिए भी काफी लोग निकल रहे हैं, इलाज के लिए अस्पतालों में लोगों की भीड़ न हो जाय, इसको ध्यान में रखते हुए गांवों में ही ओपीडी लगाने का निर्णय किया गया है। उन्होंने बताया कि सभी 1352 ग्राम पंचायतों में 15 दिन के अंदर ही स्वास्थ्य और राजस्व विभाग की टीमें कैंप लगाने का अभियान पूरा कर लेंगी। जल्द ही ये टीमें गांवों में दस्तक देना शुरू कर देंगी।
छोटी-मोटी जांच भी होगी, दवा भी दी जाएगी
गावों में जो ओपीडी लगायी जाएगी उसमें गंभीर बीमारियों को छोड़कर बाकी सभी बीमारियों का इलाज गांव में ही मिल जाएगा। अस्पताल जाने की ज़रूरत नहीं होगी। डीएम के मुताबिक ओपीडी के साथ ही वहां ब्लड शुगर समेत छोटी मोटी जांच की सुविधा होगी। गंभीर बीमारी का मरीज़ मिलने पर उसे समय देकर अस्पताल बुलाया जाएगा।
कामगारों वापस के आने से बढ़े हैं ज़मीन के विवाद
दरअसल कोरोना महामारी की वजह से लगाए गए लॉक डाउन के चलते लाखों कामगार वापस अपने गांवों को लौट आए हैं। इनके आने के बाद ज़मीन के विवाद बढ़ गए हैं, कुछ पुराने विवाद भी परेशानी का सबब बन सकते हैं। ये विवाद किसी घटना का रूप लें इसके पहले ही डीएम इसका निपटारा करवाना चाहते हैं। ज़िलाधिकारी के बताया है कि इन विवादों निस्तारण के लिए लोगों को तहसील और कलेक्ट्रेट का चक्कर न लगाने पड़े, इसलिए मेडिकल टीम के साथ ही राजस्व टीम को भी सभी गांवों में भेजने का निर्णय किया गया है।