scriptजब इस नेता ने मुलायम सिंह को दी चुनौती, कहा ‘नेताजी’ निर्दल ही चुनाव जीत कर दिखाउंगा | When Mulayam Singh Yadav Challenged by leader contested independent | Patrika News

जब इस नेता ने मुलायम सिंह को दी चुनौती, कहा ‘नेताजी’ निर्दल ही चुनाव जीत कर दिखाउंगा

locationगोरखपुरPublished: Jan 04, 2019 12:49:30 pm

Political kisse मुलायम के मंच के पास ही जनता ने चंदा एकत्र कर प्रत्याशी बना दिया

Mulayam singh yadav

मुलायम सिंह यादव

साल 2004। देश में लोकसभा चुनाव का बिगुल बज चुका था। सभी राजनैतिक दल चुनाव क्षेत्र में अपने-अपने सेनापतियों का ऐलान करने में लगे हुए थे। समाजवादी पार्टी के तत्कालीन मुखिया मुलायम सिंह यादव भी कुशीनगर के पडरौना में जनसभा कर रहे थे। इसी जनसभा में पडरौना लोकसभा सीट (अब कुशीनगर) के प्रत्याशी का ऐलान होने वाला था। मुलायम सिंह यादव के मुख्यमंत्री होने पर मिनी मुख्यमंत्री के नाम से प्रसिद्ध एक राजनेता को यह इत्मीनान था कि हर बार की तरह उनके ही नाम का ऐलान ‘नेताजी’ करने वाले हैं। लेकिन जनसभा के कुछ ही देर पहले इस बाहुबली को एक सूचना मिली और वह विचलित हो गए। सभा में जाने की बजाय घर आ गए। जनसभा में मुलायम सिंह यादव के पहुंचने का समय हो चुका था और इधर मान मनौव्वल का दौर शुरू हुआ। कद्दावर समाजवादी मोहन सिंह, हरिकेवल प्रसाद, विश्वनाथ सिंह आदि मनाने पहुंचे लेकिन बात नहीं बनी। मुलायम सिंह यादव मंच पर पहुंचे और एक दूसरे प्रत्याशी के नाम का ऐलान कर दिया। भीड़ शोर मचाना शुरू कर दी। मुलायम सिंह लोगों को संबोधित कर रहे थे, रैली स्थल पर ही जनता ने अपने प्रत्याशी का ऐलान कर दिया और वहीं गमछा बिछाकर चंदा एकत्र किया जाने लगा। यहीं से वह प्रत्याशी सीधे क्षेत्र की ओर कूच कर गया।
यह प्रत्याशी थे पूर्व सांसद बालेश्वर यादव। मुलायम सिंह यादव के खास सिपहसलारों में शुमार बालेश्वर यादव निर्दल ही जनता के बल पर ताल ठोक चुके थे। इधर, सपा मुखिया ने भी इस सीट पर अपनी प्रतिष्ठा का प्रश्न बना लिया, इस सीट से सीधे उनको चुनौती मिली थी। लेकिन जनता तो मन में कुछ और ठान चुकी थी। उस चुनाव को याद करते हुए कई जानकार बताते हैं कि बालेश्वर यादव को 2004 में जो जनसमर्थन मिल रहा था वह अकल्पनीय था। उनको चौक-चौराहों पर सिक्कों से तौला जाने लगा। जहां जाते लोग अपनी क्षमतानुसार चंदा देते, चुनाव के लिए संसाधन उपलब्ध कराते। लोग अपने धन-संसाधन से खुद चुनाव लड़ने लगे।
परिणाम आया तो बालेश्वर यादव निर्दल ही सांसद बन चुके थे। उनको 206850 वोट मिले थे। कांग्रेस के प्रत्याशी पूर्व गृह राज्य मंत्री आरपीएन सिंह दूसरे स्थान पर रहे। जबकि सपा प्रत्याशी पांचवें पायदान पर थे। सपा प्रत्याशी रामअवध यादव को महज 66551 मत मिले। इस चुनाव में बसपा के प्रत्याशी नथुनी प्रसाद कुशवाहा को 168869 मत तो भाजपा के प्रत्याशी चार बार सांसद रहे रामनगीना मिश्र को 115969 मत मिले थे।
चुनाव जीतकर वह संसद में पहुंचे। कुछ ही दिनों बाद वह कांग्रेस में शामिल हो गए। 2009 में कांग्रेस के सिंबल पर देवरिया लोकसभा चुनाव लड़े लेकिन जीत नहीं पाए। चुनाव बाद ही कांग्रेस से मोहभंग हो गया और पूरे सम्मान के साथ समाजवादी पार्टी में वापसी कर ली और लगातार सक्रिय हैं।
लोकदल से राजनीति की शुरूआत करने वाले बालेश्वर यादव साल 1985 में पडरौना से विधायक बने थे। वह मुलायम सिंह यादव के करीबियों में हमेशा से गिने जाते रहे। 1989 में जनता दल से पडरौना लोकसभा क्षेत्र से चुनाव मैदान में उतरे और आसानी से जीत गए। दो बार विधायक और दो बार सांसद रह चुके बालेश्वर यादव सपा के स्थापना काल से जुडे़ रहे हैं। वह देश के कुछ गिने चुने प्रतिनिधियों में हैं जो निर्दल लोकसभा चुनाव जीतकर संसद में पहुंचा हो। अस्सी साल का यह कद्दावर सपा नेता एक बार फिर लोकसभा चुनाव में सक्रिय है।
बहरहाल, उस चुनाव के बाद दो लोकसभा चुनाव यहां की जनता देख चुकी आैर एक चुनाव सिर पर है। कुशीनगर की राजनीति को करीब से देखने-समझने वाले बताते हैं कि इस क्षेत्र में वह लोकसभा चुनाव अविस्मरणीय है। शायद जनता अपनी ताकत का एहसास बड़े राजनेताआें को करा रही थी।
loksabha entry point

ट्रेंडिंग वीडियो