प्रदेश के बेसिक शिक्षा विभाग द्वारा कस्तूरबा गांधी बालिका विद्यालय कई साल पहले खोले गए थे। बच्चियों के इस आवासीय विद्यालयों में क्लास 6 से 8 तक की पढ़ाई होती है। प्रत्येक क्लास में 50 या 100 बच्चियों का एडमिशन होता है। इनका सारा खर्च सरकार वहन करती है। ‘बा’ की बेटियों को पढ़ाई के साथ साथ अन्य शैक्षणिक व खेल की गतिविधियों में भी पारंगत करने के लिए समय समय पर प्रशिक्षक रख कर उनको प्रशिक्षण दिलाया जाता है। बेटियां अपनी आत्मरक्षा खुद कर सके इसके लिए भी उनको आत्मरक्षा की विभिन्न विधियों से पारंगत कराया जाएगा।
समाज में आये दिन बच्चियों, युवतियों व महिलाओं को छेड़छाड़ व दुर्व्यवहार की घटनाओं से दो चार होना पड़ता है। अकेली होने की वजह से ये खुद को अबला समझ दुर्व्यवहार रुपी जहर की घूंट पीने को विवश होती हैं। तमाम बार बड़ी घटनाएं भी सामने आती हैं। सरकार की मंशा यह है कि लड़कियों में आत्मविश्वास भरने व छेड़खानी जैसे अपराध के खिलाफ मुखर होने के लिए उनको आत्मनिर्भर होने के साथ साथ आत्मरक्षा के गुर भी आने चाहिए। आत्मरक्षा की विधियों को जानने के बाद उनका आत्मविश्वास तो बढ़ेगा ही साथ ही साथ वह छोटी-मोटी घटनाओं का खुद ही निवारण कर सकेंगी। प्रतिरोध कर छेड़खानी करने वालों को सबक सीखा सकेंगी।