scriptGround Report : नोएडा एयरपोर्ट के लिए जल्दबाजी में ढहा दिए घर, अब तंबुओं में रहने को मजबूर 100 किसान परिवार | 100 families living in tents due to land acquisition for noida airport | Patrika News

Ground Report : नोएडा एयरपोर्ट के लिए जल्दबाजी में ढहा दिए घर, अब तंबुओं में रहने को मजबूर 100 किसान परिवार

locationग्रेटर नोएडाPublished: Nov 24, 2021 11:36:12 am

Submitted by:

lokesh verma

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) के कार्यक्रम स्थल से ठीक 700 मीटर दूर रोही गांव के सभी घरों को नोएडा एयरपोर्ट (Noida Airport) के लिए भूमि अधिग्रहण (Land Acquisition) के बाद ढहा दिया था, लेकिन अब तक 100 किसान परिवार ऐसे हैं, जिन्हें या तो मुआवजा नहीं मिला, अगर मुआवजा मिला भी है तो भूमि अधिग्रहण कानून के मुताबिक शहर में रहने के लिए ग्रामीणों को नहीं मिला है। ऐसे में ये ग्रामीण सर्दी के मौसम में भी परिवार के साथ तंबुओं में रहने को मजबूर हैं।

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ग्रेटर नोएडा. नोएडा एयरपोर्ट (Noida Airport) का शिलान्यास करने के लिए 25 नवंबर को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) जेवर आ रहे हैं। उनके आने से पहले कार्यक्रम की तैयारियां जोरों पर हैं। टूटी सड़कों को फिर से बनाया जा रहा है। प्रशासनिक अमला रंग-रोगन में लगा हुआ है। प्रधानमंत्री के कार्यक्रम स्थल से ठीक 700 मीटर दूर रोही गांव के सभी घरों को एयरपोर्ट के लिए भूमि अधिग्रहण (Land Acquisition For Airport) के बाद ढहा दिया गया था, लेकिन अब तक 100 किसान परिवार ऐसे हैं, जिन्हें या तो मुआवजा नहीं मिला, अगर मुआवजा मिला भी है तो कानून के मुताबिक शहर में रहने के लिए प्लॉट नहीं मिला है। ऐसे में ये ग्रामीण सर्दी के मौसम में भी परिवार के साथ तंबुओं में रहने को मजबूर हैं। पेश है पत्रिका संवाददाता अरविंद उत्तम की ये रिपोर्ट-
पत्रिका संवाददाता नोएडा एयरपोर्ट के शिलान्यास स्थल से रोही गांव पहुंचे तो वहां एक तंबू नजर आया। तंबू के अंदर एक किसान परिवार मिला। जब किसान ओमपाल निवासी रोही गांव से बात की तो उन्होंने बताया कि प्रशासन ने उनके घर को ढहा दिया था। इसलिए पिछले तीन साल से इसी पॉलीथीन के तंबू में रह रहे हैं। 45 वर्षीय ओमपाल ने बताया कि उन्हें अब अब तक मुआवजा नहीं मिला है और न ही भूमि अधिग्रहण क़ानून के तहत रहने के लिए प्लॉट दिया गया है।
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6 बाई 6 के तंबू में रह रहे परिवार

रोही गांव से निकलकर हम एयरपोर्ट के लिए अधिग्रहित किए गए नंगला शरीफ़ गांव पहुंचे। वहां हमारी मुलाक़ात 45 साल के हसन मोहम्मद से हुई। हसन मोहम्मद का घर भी तीन साल पहले एयरपोर्ट बनाने के लिए ढहा दिया गया था। तब से वह भी अपने चार बच्चों के साथ तंबू में ही रहने के लिए मजबूर हैं। हसन ने बताया कि मुआवजा तो मिल गया, लेकिन रहने के लिए प्लॉट नहीं मिला है। इसलिए सर्दी में भी छोटे बच्चों के साथ 6 बाई 6 के तंबू में रहने को मजबूर हैं। हमें नंगला शरीफ गांव में करीब 15 किसान परिवार तंबू में रहते मिले। यहां की बिजली भी काट दी गई है और पानी का भी इंतजाम नहीं है। वहीं, जिन लोगों को 100 गज का प्लॉट मिला है, वे उनमें पशुओं को रख खुद तंबू में रह रहे हैं। उनका कहना है कि 100 गज के प्लॉट में खुद रहें या अपनी गाय-भैसों को रखें।
चार के बजाय दो गुना दिया मुआवजा

इसके बाद हम खेड़ा दयानतपुर पहुंचे। जहां के रहने वाले 62 वर्षीय अजय प्रताप सिंह लगभग 500 किसानों के साथ मिलकर भूमि अधिग्रहण के खिलाफ इलाहाबाद हाईकोर्ट पहुंच गए हैं। अजय प्रताप का आरोप है कि सरकार ने किसानों को चार गुना मुआवजा देने की बजाय दोगुना मुआवजा ही दिया है। पहले इन गांव को शहरी क्षेत्र दिखाया, फिर तकनीकी खामी बताकर आबादी को ग्रामीण घोषित कर दिया। जबकि नियम के मुताबिक, अगर ज़मीन शहरी है तो मुआवज़ा सर्किल रेट का दो गुना मिलता है और ग्रामीण क्षेत्र में मुआवजा चार गुना देना पड़ता है।
भाजपा विधायक ने भी माना भूमि अधिग्रहण में जल्दबाजी हुई

ग्रामीणों की समस्याओं को लेकर जब हमने जेवर विधानसभा क्षेत्र के भाजपा विधायक ठाकुर धीरेंद्र सिंह से बता कि तो उन्होंने भी माना कि भूमि अधिग्रहण में जल्दबाजी हुई है। इस कारण किसानों को सही मुआवजा और निवास नहीं मिल पाया है।
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