तितलियों को पकड़ने के लिए उनके पीछे दौड़ना तो कभी पंख पकड़कर उन्हें गौर से निहारना। वहीं जब हाथ से पकड़ने पर उसके पंख झड़ते तो मन कितना दुखी होते था। अब अगर कहें कि नन्ही जान की 1500 प्रजातियां खत्म होने की कगार पर हैं। तो सोचिए कि ये कितना गंभीर विषय है।
दरअसल, ग्रेटर नोएडा स्थित एक्स्पो मार्ट में चल रहे संयुक्त राष्ट्र सम्मेलन के कॉन्फ्रेंस ऑफ पार्टीज में बुधवार को यह जानकारी दी गई। इस दौरान ज्यूलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया के स्टॉल पर ठंडे इलाके में समुद्र तल से 500 मीटर ऊंचे इलाकों में मिलने वालीं तितलियों के अवशेष भी दिखाए गए। यहां जानकारी देते हुए सीनियर ज्यूलॉजिकल असिस्टेंट डॉ. एम. कमलाकनन ने बताया कि देश में 1500 तितलियों की प्रजातियां खत्म होने की कगार पर हैं।
इसका कारण बदलता मौसम और मनुष्यों का लालच है। रासायनिक खाद के अंधाधुंध इस्तेमाल ने इन नन्हें जीवों की सांस रोक दी है। इतना ही नहीं, घरों को सजाने के लिए भी लोगों ने तितलियों का शिकार किया। हर वर्ष करीब 50 हजार तितलियों का निर्यात हो रहा है। अब भी समय है, अगर हम लोग नहीं संभले तो आने वाले समय में अपने बच्चों को फोटो में ही तितलियां दिखाएंगे।