scriptबिना मुहूर्त हम नही होंगे तेरे, इस बार देवउठनी पर गुरु ने बदली ऐसी चाल नहीं पड़ेंगे फेरे | dev uthani ekadashi 2018 for marriage in hindi | Patrika News

बिना मुहूर्त हम नही होंगे तेरे, इस बार देवउठनी पर गुरु ने बदली ऐसी चाल नहीं पड़ेंगे फेरे

locationग्रेटर नोएडाPublished: Nov 18, 2018 08:45:59 am

Submitted by:

virendra sharma

Dev uthani Ekadashi 2018: कार्तिक शुक्ल एकादशी वर्ष की सबसे बड़ी devutthana ekadashi देवउठनी एकादशी होती है।

dev

बिना मुहूर्त हम नही होंगे तेरे, इस बार देवउठनी पर गुरु ने बदली ऐसी चाल नहीं पड़ेंगे फेरे

नोएडा. Dev uthani Ekadashi 2018: कार्तिक शुक्ल एकादशी वर्ष की सबसे बड़ी devutthana ekadashi देवउठनी एकादशी होती है। इस दिन चातुर्मास का समापन होता है। ऐसी मान्यता है कि भगवान विष्णु खहर माह के विश्राम के बाद क्षीर सागर से जागते है और दौबारा से धरती का कार्यभार संभालते है। वहीं इन चार महीने से बंद विवाह व अन्य मांगलिक कार्यक्रम फिर से शुरू हो जाते है। इसे देवउठनी एकादशी, देव प्रबोधिनी एकादशी और देवोत्थान एकादशी भी कहा गया है। शास्त्रों व पुराणों में देवउठनी एकादशी का अधिक महत्व बताया गया है। व्रत करने का देवउठनी एकादशी का अलग ही महत्व है, साथ ही इस दिन सुख, समृद्धि और सौभाग्य की प्राप्ति के लिए कई तरह के उपाय भी किए जाते हैं। इस बार यह एकादशी 19 नवंबर को है। इस दिन विवाह कार्य शुभ माने जाते हैं, लेकिन इस बार शादी विवाह के संयोग नहीं है। इस बार गुरू का योग ऐसा बन रहा कि मांगलिक कार्य करना वर्जित है।
देव उठनी एकादशी पर नहीं पड़ेंगे फेरे

Dev Uthani Ekadashi 2018 यानी 19 नवंबर को देवउठनी एकादशी पर विवाह का योग नहीं बन रहा है। इसका कारण गुरु अस्त है। Dev Uthani Ekadashi के दिन विवाह के लिए संयोग नहीं बन रहा है।
विवाह योग इनकी होती है अहम भूमिका

ग्रेटर नोएडा के रहने वाले पंडित आचार्य गोपाल शर्मा ने बताया कि शादी होने के बाद में गृहस्थ आश्रम की शुरूआत होती है। विवाह के लिए योग्य जीवन साथी के साथ श्रेष्ठ मुहूर्त होना भी बेहद आवश्यक है। विवाह जैसे शुभ कार्य को शुभ मुहूर्त में करने के लिए त्रिबल शुद्धि अर्थात चंद्र, गुरु और शुक्र की भूमिका अधिक होती है। लेकिन इस बार यह संयोग नहीं बन रहा है।
गोचरवश शुभ स्थान में होने चाहिए ग्रह

पंडित आचार्य गोपाल शर्मा ने बताया कि शादी के लिए शुभ मुहूर्त के दिन गुरु, चंद्र व शुक्र का गोचरवश शुभ स्थानों में होना जरुरी है। त्रिबल शुद्धि के साथ ही विवाह मुहूर्त में गुरु व शुक्र के तारे का उदित स्वरूप होना भी आवश्यक है। यदि गुरु व शुक्र का तारा अस्त है तो विवाह का मुहूर्त नहीं होता है।
देवशयनी से देवउठनी तक नहीं है वैवाहिक कार्यक्रम के शुभ योग

हिंदू परंपरा के अनुसार देवशयनी से देवउठनी एकादशी तक विवाह का नहीं होंगे। पंडित आचार्य गोपाल शर्मा ने बताया कि सोमवार 12 नवंबर कार्तिक शुक्ल पंचमी को गुरु पश्चिम में अस्त हो गया है। अब यह 7 दिसंबर दिन शुक्रवार मार्गशीर्ष अमावस्या को पूर्व में उदय होगा। उन्होने बताया कि विवाह कार्य करना शुभ नहीं होगा।
loksabha entry point

ट्रेंडिंग वीडियो