scriptआजादी के बाद से आज तक इस गांव में चुनाव का प्रचार करने नहीं गया कोई नेता, देखें वीडियो | dilelpur village do not have a polling booth | Patrika News

आजादी के बाद से आज तक इस गांव में चुनाव का प्रचार करने नहीं गया कोई नेता, देखें वीडियो

locationग्रेटर नोएडाPublished: Mar 19, 2019 03:41:01 pm

Submitted by:

Rahul Chauhan

-गांव का वजूद देश के पहले आम चुनाव के समय से है
-आज तक ना तो किसी नेता के द्वारा वोट मांगी गई है और ना ही गांव का विकास किया गया

village

आजादी के बाद से आज तक इस गांव में चुनाव का प्रचार करने नहीं गया कोई नेता, देखें वीडियो

ग्रेटर नोएडा। कहते हैं अगर पूरी शिद्दत से किसी चीज़ को चाहो तो सारी कायनात आपको उससे मिलाने में जुट जाती है। ये डायलॉग दिलेलपुर गाँव के निवासियों के लिए फिल्मी साबित हुआ है। उन्हें पूरी शिद्दत से तमाम दुश्वारीयों को झेल कर अपने संवैधानिक अधिकारो प्रयोग करने के लिए 90 किलोमीटर चलना पड़ता है। पोलिंग बूथ पर पहुंचने का एक दूसरा जरिया भी है, जो जोखिम भरा है। इसके लिए गांव के लोगों को यमुना नदी लांघनी पड़ती है।
यह भी पढ़ें

अखिलेश के खिलाफ शिवपाल की पार्टी से चुनाव लड़ेगा ये नेता, तोड़ चुका है मायावती की मूर्ति

दरअसल, गांव का वजूद देश के पहले आम चुनाव यानी 1952 के समय से है। लेकिन जिला प्रशासन व सरकार के द्वारा आज तक कोई ऐसी व्यवस्था नहीं की गई। लोगों का कहना है कि आज तक ना तो किसी नेता के द्वारा वोट मांगी गई है और ना ही इनके गांव का विकास किया गया है।
बता दें कि ग्रेटर नोएडा के दलेलपुर जाने का रास्ता फरीदाबाद होकर है। ये दिल्ली के कालिंदी कुंज से करीब 50 किलोमीटर दूर है। अगर इस गांव के लोग वोट डालने जाएं, तो पहले उन्हें फरीदाबाद से होकर निकलना पड़ेगा, फिर दिल्ली, इसके बाद नोएडा और तब आखिरी पड़ाव के रूप में ग्रेटर नोएडा। दलेलपुर गांव का पोलिंग बूथ गुलावली में है, जो यमुना एक्सप्रेस-वे से सटा है। पोलिंग बूथ पर पहुंचने का एक दूसरा जरिया भी है, जो जोखिम भरा है। इसके लिए गांव के लोगों को यमुना नदी लांघनी पड़ती है। यह भले शॉर्टकट रास्ता है, लेकिन यमुना तट पर पहुंचने के लिए गांववालों को पहले तीन किलोमीटर पैदल मार्च करना पड़ता है, फिर नाव का आसरा होता है और उस पार उतरने के बाद एक बार फिर पांच किलोमीटर पैदल चलना पड़ता है।
गांव का वजूद देश के पहले आम चुनाव यानी 1952 के समय से है। पहले यह गांव फरीदाबाद में था। 1982 के बाद से ग्रेटर नोएडा का हिस्सा है। 1982 में जिला गौतमबुद्ध नगर और हरियाणा की सीमा तय की गई, जिसके बाद यह गांव गौतमबुद्ध नगर में शामिल हुआ। आज गांव में करीब 50-60 घर हैं और आबादी करीब 300 की, जिनमें से 160 वोटर हैं।
यह भी पढ़ें

बीजेपी ने इन दो केंद्रीय मंत्री पर खेला बड़ा दांव, आज शाम को जारी होंगे टिकट

गांव वालों का कहना है कि कई बार अधिकारियों से शिकायत करने के बावजूद भी इस गांव में पोलिंग बूथ नहीं बनाया गया है। जिसके चलते लोग अपने आपको ठगा सा महसूस करते हैं. वहीं दूसरी तरफ जान को जोखिम में डालकर अपने मत का प्रयोग करने के लिए हरियाणा से होते हुए दिल्ली और उसके बाद उत्तर प्रदेश की सीमा में पहुंचकर नोएडा के गुलावली गांव में जाते हैं, जहां पर अपने मत का प्रयोग कर पाते हैं।
यह भी पढ़ें

इस लोक सभा सीट से चुनाव लड़ने की तैयारी में जेल में बंद बहुचर्चित तिहरे हत्याकांड का मुख्य आरोपी

अब तक विकास को तरसते इस गांव की बिजली फरीदाबाद के ही भरोसे है। सड़कें बदहाल हैं और स्वास्थ्य तथा शिक्षा जैसी बुनियादी जरूरतों के लिए इन लोगों को फरीदाबाद का ही मुंह देखना पड़ता है। गांव वाले बताते हैं कि चुनाव के समय भी उम्मीदवार नहीं, बस उनके नुमाइंदे ही यहां पहुंचते हैं। चुनावी मौसम होने के बाद भी गांव में चुनाव का शोर है और ना ही चुनाव की चर्चा है, जिसके चलते अधिकारियो ने भी इस गांव से किनारा किया हुआ है, फिर भी वोटिंग करने को लेकर इनके हौसले देखने लायक हैं। जोखिम होने के बावजूद ये मतदान करना नहीं भूलते..शायद इसी आस में कि कभी तो कोई इनकी सुध लेगा।
loksabha entry point

ट्रेंडिंग वीडियो