ग्रेटर नोएडा के लोहारली और चिटेहरा गांव के प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र का बुरा हाल। कई बार प्रशासन से गुहार लगाने पर भी नहीं हुए शुरू। लोग भूसा भरने के लिए कमरों का कर रहे हैं इस्तेमाल।
ग्रेटर नोएडा। पहली कोरोना लहर (coronavirus) में अछूते रहे गांवों में कोरोना की दूसरी लहर ने हाहाकार मचाया हुआ है। ऐसे में प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने गौतमबुद्ध नगर (gautam budh nagar) का दौरा किया, लेकिन इस दौरे में सीएम योगी (cm yogi aditynath) ने वही देखा जो प्रशासन उन्हें दिखाना चाहता था। गांव में स्वास्थ्य व्यवस्था की क्या दशा है, इसके लिए मुख्यमंत्री को दादरी के गांव लोहारली और चिटेहरा गांव के प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र (chc) तक जाना चाहिए था, तब पता चलता कि गाँव में स्वास्थ्य सेवाएं अस्तित्व में है ही नहीं। एक प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र पर ताला लगा हुआ है जबकि दूसरा खंडहर में तब्दील हो चुका है।
लोहारली गांव में बना प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र गोबर और गंदगी से भरा है। कमरों में गोबर के कंडे और भूसा भरा हुआ है। गांव के बुजुर्ग यशपाल बताते हैं कि स्वास्थ्य केंद्र पर डॉक्टर आते थे लेकिन पिछले काफी समय से कोई डॉक्टर नहीं आया और लोगों को इलाज के लिए दादरी जाना होता है या फिर नौगांव। वहीं गांव के रहने वाली महिला बताती हैं कि अस्पताल बंद है और खाली है इसलिए लोग इसका इस्तेमाल गोबर के कंडे और भूसा भरने के लिए कर रहे हैं। इलाज के लिए वे दादरी जाती हैं लेकिन जाने में काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ता है।
लोहारली गाँव के निवासी अमित कहते हैं कि उन्होंने इस स्वास्थ्य केंद्र को कभी खुला नहीं देखा। इसको शुरू करने को लेकर कई बार सरकार से गुहार भी लगाई गई, लेकिन नतीजा कुछ नहीं निकला। यहां पर कभी भी स्वास्थ्य विभाग की टीम नहीं आई है। वहीं ग्राम प्रधान के पति विपिन का कहना है कि पिछले दिनों गाँव में कोविड-19 जांच सरकार की तरफ से की गई थी। दूसरी बार उनके अनुरोध पर एसडीएम ने जांच कराई थी। जिसमें 70 लोगों की जांच की गई थी और सभी नेगेटिव पाए गए थे। यहां आंगनवाड़ी है। इसकी कार्यकर्ता लोगों के स्वास्थ्य का ध्यान रखती हैं। गंभीर होने की दशा में ही लोग दादरी के सीएससी सेंटर पर जाते हैं। यह जमीन स्वास्थ्य विभाग की है। इसकी वे अपने कार्यकाल में बाउंड्री बनाएंगे और और डॉक्टर की भी व्यवस्था करेंगे ।
दूसरा सेंटर दादरी के गांव चिटेहरा में स्थित है। यह सेंटर भी बंद है। यहां पर एक डॉक्टर रहते हैं लेकिन लोगों का इलाज नहीं होता। इस भवन का हाल ही में 6 लाख 32 हजार की लागत से डॉ श्यामा प्रसाद मुखर्जी रूरल अर्बन मिशन योजना के तहत नवीनीकरण और जीर्णोद्धार किया गया है। यहां भी लोगों को इलाज के लिए दादरी का रुख करना पड़ता है जो यहां से 9 किलोमीटर की दूरी पर है।