इसके अलावा सस्ती आवासीय संपत्ति परियोजनाओं पर जीएसटी दर को 8 प्रतिशत से घटाकर बिना इनपुट टैक्स क्रेडिट के एक प्रतिशत कर दिया है। गौरतलब है कि रियल्टी स्केटर को प्रोत्साहन देने के लिए सरकार ने यह खास कदम उठाया है। इसके अलावा आकार और लागत दोनों ह्साब से सस्ते आवास की परिभाषा में भी बदलाव किया गया है। मेट्रो शहरों में 60 वर्गमीटर कार्पेट क्षेत्र तक के घरों और गैर-मेट्रो शहरों में 90 वर्गमीटर कॉर्पेट क्षेत्र वाले घरों को सस्ते आवास के तहत वर्गीकृत किया गया था। लागत के मामले में 45 लाख रुपये की संपत्ति को सस्ते आवास की श्रेणी में रखा गया है। बिहार के उपमुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी ने ट्वीट कर कहा कि सस्ते आवासों के लिए जीएसटी की दर आठ फीसदी से घटाकर एक फीसदी कर दी गई है, जो सस्ते आवास की श्रेणी में नहीं आते हैं। उनके लिए जीएसटी की दर 12 फीसदी से घटाकर पांच फीसदी कर दी गई है।
गौरतलब है कि परिषद में केंद्रीय वित्तमंत्री और राज्यों के वित्तमंत्री शामिल हैं। इस फैसले के बाद केंद्रीय वित्तमंत्री अरुण जेटली ने कहा कि वे सभी आवासीय परियोजनाएं, जो सस्ते आवास की श्रेणी में नहीं आती हैं। उन पर भी जीएसटी की दर 12 फीसदी की जगह पांच फीसदी होगी। एक अनुमान के मुताबिक देश के सात बड़े शहरों में तकरीबन छह लाख निर्माणाधीन घर हैं। सरकार के इस फैसले से उनकी ब्रिकी बढ़ने की उम्मीद की जा रही है। जेटली ने बताया कि इससे रियल स्टेट क्षेत्र को प्रोत्साहन मिलेगा और मध्यम वर्ग को राहत मिलेगी।