लोगों की मानें तो समय-समय पर जागरुकता अभियान चलाने चाहिए। साथ ही कोहरा के दौरान चलने के दिशा-निर्देश भी प्रशासन की तरफ दिए जाए। डीएम की मानें तो हादसों को रोकने के लिए प्रशासन की तरफ से हरसंभव प्रयास किए जा रहे हैं। साथ ही यमुना एक्सप्रेस-वे मैनेजमेंट को गाइडलाइन जारी कर दी गई है।
पिछले 2 दिनों से दिल्ली-एनसीआर में धुंध छाने लगी है। इसकी वजह से बुधवार को यमुना एक्सप्रेस-वे पर हादसा हुआ। हादसे में 12 से अधिक गाडियां टकरा गई थी। जिसमें 10 से अधिक लोग घायल हुए है। एक्सपर्ट की मानें तो यमुना एक्सप्रेस-वे पर हादसों को रोकने के लिए पर्याप्त उपाय नहीं किए गए है। जिसकी वजह से हादसे हो रहे हैं। यहां फॉग लाइट की व्यवस्था नहीं है, जबकि रिफ्लेक्टरों का भी अभाव है।
लोगों की मानें तो ग्रेटर नोएडा से लेकर आगरा तक खुला एरिया है। जिसकी वजह से स्मॉग और बढ़ जाता है। यहां एक्सप्रेस-वे मैनेजमेंट को फॉग लाइट लगानी चाहिए थी। लेकिन ऐसा नही किया गया। वहीं रिफ्लेक्टरों की भी कमी है। दरअसल में बुधवार को यमुना एक्सप्रेस—वे पर जिस जगह हादसा हुआ। वहां इस्टर्न पेरीफेरल के लिए पुल बनाया जा रहा है। एक्सप्रेस-वे पर बोरे पड़े हुए थे। बोरा से सबसे पहले स्कॉर्पियों को टकराई थी। बाद में और भी वाहन स्कॉर्पियों से जा टकराए। आरोप है कि एक्सप्रेस-वे पर कोई देखरेख करने वाला भी नहीं है। इसकी वजह से और भी दिक्कतें बढ रही है।
यातायात माह भी नहीं उठाया जा रहा कोई कदम जिले में यातायात माह चल रहा है। इस दौरान लोगों के चालान और वाहनों को चेक किया जा रहा है। लेकिन यमुना एक्सप्रेस-वे पर पुलिस की तरफ से कोई कार्रवाई नहीं की जा रही है। लोगों का आरोप है कि अगर यमुना एक्सप्रेस-वे पर पुलिस की तरफ से अभियान चनाया जाए तो हादसों में कमी आ सकती है।
ऐसे भी बढ़ रहे हैं हादसे यमुना एक्सप्रेस-वे पर इनदिनों लोगों ने लगी तार फेसिंग को तोड़कर रास्ता बना लिया है। दरअसल में यमुना एक्सप्रेस-वे पर ग्रेटर नोएडा से लेकर आगरा तक तार फेसिंग की गई है। ताकि कोई भी पशु रोड पर न जा सके और हादसा न हो। लेकिन लोगों ने तार फेसिंग को तोड़ दिया है। आसानी के साथ में यमुना एक्सप्रेस-वे पर पहुंच जाते हैं। यहां से बस पकड़ते हैं। ऐसे में यमुना एक्सप्रेस-वे पर जंगली पशु आ सकते हैं। इसकी वजह से बड़ा हादसा हो सकता है। आरोप है कि इस तरफ प्रशासन का ध्यान नहीं दिया जा रहा है।