दरअसल, कोरोना वायरस से पॉजिटिव पाए जाने वाले मरीजों को वर्तमान समय में ग्रेटर नोएडा की जिम्स हॉस्पिटल और नोएडा की चाइल्ड पीजीआई में रखने की व्यवस्था की गई है। दोनों अस्पतालों को मिलाकर कुल 19 बेड उपलब्ध हैं, जबकि जिले में कोरोना वायरस से पीड़ितों की संख्या 23 हो पर चुकी है। इस संकट को देखते हुए यह जरूरी हो गया है कि प्रशासन जल्दी से जल्दी नए अस्पतालो का निर्माण करें। सूत्रो के अनुसार इसके लिए प्रशासन की तरफ से नई जगहों को चिन्हित किया जा रहा है और इसके लिए यमुना एक्सप्रेसवे पर स्थित नोएडा इंटरनेशनल यूनिवर्सिटी के मेडिकल की बिल्डिंग उपयुक्त पाया गया है, जिसका अध्यन करने के लिए डॉक्टर और प्रदेश के प्रतिनिधि इसका दौरा चुके हैं।
यहां अस्पताल को शुरू करने के लिए सबसे महत्वपूर्ण उपकरण वेंटीलेटर की आवश्यकता है। जिसकी व्यवस्था की जा रही है। इसके अलावा मरीजों के बेड और अन्य सामान शासन द्वारा उपलब्ध कराया जा रहा है। मरीज के इलाज के लिए 50 बेड का हॉस्पिटल बनाने की स्थिति में कम से कम 200 डॉक्टरों की और 600 से 800 की संख्या में पैरामेडिकल स्टाफ की जरूरत होगी। तभी वे 24 घंटे मरीजों का इलाज कर पाएंगे। लेकिन इस बारे में शासन के द्वारा कोई भी पहलू स्पष्ट नहीं किया गया है।
कोरोना वायरस के संभावित मरीजों को वर्तमान में कोरंटाइन रखने के लिए ग्रेटर नोएडा के जीबीयू के एक हॉस्टल, सेक्टर-39 स्थित नया जिला अस्पताल और सेक्टर-30 स्थित शिशु अस्पताल में 600 से अधिक बिस्तरों का कोरंटाइन वार्ड बनाया गया है।