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जेल के आस—पास के गांवों के लोगों से मीटिंग कर जेल प्रशासन ने गाए लेने का प्रस्ताव तैयार किया है। फिलहाल, गौशाला में 20 गाय रखने की व्यवस्था कर दी गई है। वहीं, कैंदियों के बैंक अकाउंट भी खुलवाए जा रहे हैं। ताकि, गौशाला की देखरेख करने वाले कैंदियों को सैलरी दी जा सके। जेलर एमएल यादव ने बताया कि शुरुआत में नो प्रोफिट, नो लॉस के आधार पर गौशाला चलाई जाएगी। बाद में होने वाली आमदनी से कैदियों की सैलरी और गौशाला के रखरखाव पर खर्च किया जाएगा। जेल में ही गायों के लिए चारा उगाया जाएगा। वहीं, कैदियों के लिए बनने वाला 2 से 3 क्विंटल खाना डेली बचता है। यह खाना भी खराब नही होगा, गायों को खिलाया जाएगा।
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जेलर एमएल यादव ने बताया कि जेल में गऊशाला शुरू होने के बाद डेरी का संचालन भी किया जाएगा। डेरी संचालन के लिए वाकायदा एक सोसाइदटी रजिस्ट्रर्ड कराई जाएगी। इसमें कैदियों को शामिल किया जाएगा। लंबी सजा काट रहे या सजायाप्त कैदियों को ही सोसाइटी में शामिल किया जाएगा। गायों का लालन—पालन करने की जिम्मेदारी सोसाइटी में शामिल कैदियेां की होगी। जेल में गाय के गोबर और गौमूत्र को अलग-अलग स्थानों पर इक्टठा किया जाएगा। गौमूत्र से आयुवैर्दिक दवाइयां बनाने वाली कपनियों को बेचा जाएग, जबकि खाद्य के व्यवसायिक प्रयोग के लिए विभिन्न संस्थान और हॉर्टीकल्च्र के लिए दिया जाएगा।