बायर्स का कहना है कि कविता के माध्यम से लोग इस धरने में अपना दर्द बयां करेंगे। वहीं यहां कवि बायर्स की आवाज बनने का काम करेंगे। इन सभी चीजों को ध्यान में रखते हुए धरनास्थल पर एक कवि सम्मेलन का आयोजन किया गया। जिसमें करीब दर्जनभर कवियों ने नोएडा एवं गाजियाबाद के अलग-अलग क्षेत्रों से आकर हिस्सा लिया और कविता के माध्यम से बायर्स का दर्द रखने का काम किया।
यह अपने आप में पूरे देश में एक नया आंदोलन करने का तरीका भी बताया जा रहा है। जिसमें कविता के माध्यम से विरोध दर्ज कराया गया। वहीं कुछ लोग इसे कवि सम्मेलन आंदोलन भी करार दे रहे हैं। शाहबेरी संघर्ष समिति के मुकुल उपाध्याय ने बताया कि यह अनशन तब तक जारी रहेगा जब तक उन्हें इंसाफ नहीं मिल जाता। लाखों लोग अपने घरों के लिए ये लड़ाई लड़ रहे हैं। हम अलग-अलग तरीके से प्राधिकरण के दमनकारी नीतियों का विरोध जारी रखेंगे।