बता दें कि जिन बिल्डर के प्लॉट आवंटन निरस्त किए गए हैं, उनमें अधिकांश के आवंटन लॉजिक्स बिल्डर को किए गए थे। लॉजिक्स बिल्डर ने ही बिल्डरों को आवंटित प्लॉट के टुकड़े करके बेचे थे। लेकिन, ये बिल्डर काम नहीं कर पाए और बिल्डरों ने जमीन आवंटन के बाद किस्त जमा करने के लिए रिशेड्यूलमेंट की मांग की यानी उनकी किस्तों को दोबारा से तय किया गया। इसके बाद भी उन्होंने बकाया जमा नहीं कराया और डिफॉल्टर की श्रेणी में आ गए। ऐसे में प्राधिकरण ने कार्रवाई करते हुए डिफॉल्टर बिल्डर की श्रेणी में आने पर इनके प्लॉट का आवंटन निरस्त कर दिया।
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सीएम योगी के अयोध्या आने से पहले पीड़िता के घर पहुंचे विधायक प्राधिकरण के बार-बार नोटिस भेजने के बाद भी नहीं चुकाया बकाया यमुना प्राधिकरण के सीईओ डॉ. अरुणवीर सिंह ने बताया कि भूमि का आवंटन लेने के बाद इन बिल्डरों ने प्राधिकरण की बकाया धनराशि नहीं चुकाई है। आवंटित भूमि पर परियोजना शुरू नहीं की गई है। बिल्डरों को बार-बार बकाया पैसा चुकाने के लिए नोटिस भेजे गए, लेकिन कोई जवाब नहीं दिया गया। इसलिए अब इनके आवंटन रद्द कर दिए गए हैं। कुल 2.18 लाख वर्गमीटर के प्लॉट निरस्त किए गए हैं और 27.30 करोड़ रुपये की राशि जब्त की गई है।
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योगी सरकार के दूसरे कार्यकाल में बदले जाएंगे इन दर्जनों स्थानों के नाम, देखें पूरी सूची आवंटित जमीन को टुकड़ों में बेचने का खेल काफी पुराना प्राधिकरणों के ग्रुप हाउसिंग विभाग की ओर से बिल्डरों को आवंटित जमीन के टुकड़े कर यानी प्लॉट के सब डिवीजन कर बेचने का खेल काफी पुराना है। नोएडा की स्पोर्ट्स सिटी में भी इस तरह की कारगुजारी अंजाम दी गई थी। इससे पूरा प्रोजेक्ट ध्वस्त हो गया। मुख्य बिल्डर जमीन आवंटन कराने के बाद दूसरे को जमीन बेच देता है और फायदा कमाकर निकल जाता है। वहीं दूसरे बिल्डर बीच मझधार में फंसकर रह जाते हैं। इससे प्राधिकरणों की योजनाएं भी अटक जाती हैं। इन मामलों में भी कुछ ऐसा ही हुआ है।