यह भी पढ़ें
महिला ने सड़क पर ही दिया बच्चे को जन्म, पुलिस अधिकारी ने पहुंचाया अस्पताल हजारों बायर्स समेत अथॉरिटी के रुपये जेपी ग्रुप नहीं लौटा पा रहा था। बसपा सरकार में सीएम रही मायावती ने ग्रेटर नोएडा से आगरा तक 160 मीटर लंबे एक्सप्रेस-वे के लिए जेपी को जमीन दी थी। यह जमीन अलग- अलग 5 टाउनशिप बसाने के लिए दी गई। नोएडा, ग्रेटर नोएडा, जेवर, टप्पल और आगरा में 500-500 एकड़ जमीन जेपी ग्रुप को सौंपी गई। हालांकि, यमुना अथॉरिटी को जेपी ग्रुप ने एक्यूजिशन कास्ट 300 रुपये वर्गमीटर के जमा कराए थे। ग्रेटर नोएडा में जेपी ने बुद्ध इंटरनेशनल सर्किट भी बनाया था। वहीं इंटरनेशनल क्रिकेट ग्राउंड भी बनाया जा रहा है। माया और अखिलेश राज में जेपी ने अन्य बिल्डरों को जमीन बेची थी। साथ ही खुद भी जेपी ग्रुप ने कई आवासीय सोसाइटी निकाली थी। लेकिन उन्हें फ्लैट और भूंखड नहीं दिए गए। जिसके चलते अथॉरिटी ने बोर्ड मीटिंग में जेपी ग्रुप की जमीन बेचकर आंवटियों के पैसा चुकाने का फैसला लिया है। तमन्ना रही अधूरी 2012 में यमुना एक्सप्रेस-वे बनकर तैयार हुआ था। 2012 में यूपी में एसपी पार्टी सत्ता में आ गई। सरकार बदलने के साथ ही जेपी ग्रुप ने इसका उद्धघाटन कराया था। तत्कालीन यूपी के सीएम अखिलेशा यादव ने लखनउ से एक्सप्रेस-वे का उद्धघाटन किया था। बीएसपी ओर एसपी सरकार जेपी ग्रुप पर काफी मेहरबान रही थी। मायावती सरकार में जमीन अलॉट होने के बाद में एसपी सरकार में जेपी के कई प्रोजेक्ट को हरी झंडी दी गई थी। वहीं अब सत्ता में योगी सरकार आने के बाद में यमुना अथॉरिटी ने जेपी पर शिकंजा कसना शुरू कर दिया है। यमुना अथॉरिटी के चेयरमैन प्रभात कुमार ने बताया कि आंवटियों के पैसा चुकाने के लिए अगर जेपी की और भी जमीन बेचनी पड़ी तो वह भी बेची जाएगी।