उत्तर कोरिया के तानाशाह किम जोंग की सलामती पर डोनाल्ड ट्रंप ने जताई खुशी 37 पत्रकारों को हिरासत में लिया एमनेस्टी के मिडल ईस्ट और नॉर्थ अफ्रीका (North Africa) के निदेशक फिलिप लुथर के अनुसार मिस्र के अधिकारियों ने यह साफ कर दिया है कि जो भी आधिकारिक बयान को चुनौती देगा, उसे कठोर दंड दिया जाएगा। मीडिया की आजादी पर पाबंदी लगाते हुए मिस्र में 37 पत्रकारों को हिरासत में लिया गया है। 2015 के आतंक रोधी कानून के तहत इन पर झूठी खबरें प्रसारित करने के साथ सोशल मीडिया के दुरुपयोग के आरोप लगे हैं। इस कानून में आंतक की परिभाषा को विस्तार देते हुए हर प्रकार के विरोध को भी शामिल किया गया है।
कोरोना पर उठाए सवाल तो गिरफ्तार किया यहां की स्थानीय मीडिया अलकरार प्रेस वेबसाइट की एडिटर इन चीफ अतेफ हसबल्लाह ने कोरोना वायरस के मरीजोंं की संख्या को लेकर सवाल उठाए तो उनके घर पर पुलिस आई और उन्हें संदिग्ध आतंकी गतिविधियों में शामिल होने का आरोप लगाया। उन्हें जेल में डाल दिया गया। सरकार की ओर से ऐलान किया गया है कि जो भी कोरोना के बारे में ‘फर्जी खबर’ देगा। उसे 5 साल की सजा दी जाएगी और साथ ही भारी जुर्माना भी झेलना होगा।
गिरफ्तारी को जायज ठहरा रही सरकार मिस्र के प्रेस अधिकारी से जब इसके संबंध में पूछा गया तो उन्होंने कोई जवाब नहीं दिया। वहां का प्रशासन पहले भी मानवाधिकार उल्लंघन को लेकर इनकार करता रहा है। राष्ट्रीय सुरक्षा के नाम पर वह इस गिरफ्तारी को जायज ठहराता रहा है। जनरल से राष्ट्रपति बने अब्देल फतह अल-सिसी ने 2013 में ज्यादातर टीवी न्यूज चैनल और न्यूज पेपर को अपने नियंत्रण में ले रखा है। कई निजी मीडिया कंपनियों को उसने अपने नियंत्रण में ले लिया है। सरकारी मीडिया हाउस में काम करने वाले 12 पत्रकारों को सोशल मीडिया पर अपनी राय देने के मामले में जेल में डाल दिया गया।