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ब्रिटेन ने ईरानी तेल टैंकर को किया रिहा, जिब्राल्टर से हुआ रवाना

locationनई दिल्लीPublished: Aug 19, 2019 08:10:20 pm

Submitted by:

Anil Kumar

चार जुलाई को चालक दल के 29 सदस्यों वाले जहाज को ब्रिटिश नौसेनिकों की मदद से जब्त किया गया था
ईरान पर आरोप था कि इस टैंकर के जरिए यूरोपीय संघ प्रतिबंधों का उल्लंघन कर सीरिया को तेल भेजा जा रहा था

ईरानी तेल टैंकर

लंदन। फारस की खाड़ी व ओमान की खाड़ी में तेल टैंकरों पर हमले और ईरान द्वारा टैंकरों को जब्त करने के कारण अमरीका, ब्रिटेन व अन्य देशों के साथ ईरान के बढ़ते तनाव के बीच एक ईरानी जहाज को छोड़ दिया गया है।

बताया जा रहा है कि अपना नाम ग्रेस-1 से बदलकर एड्रियन दरया-1 कर लेने वाले ईरानी जहाज, जिसे सीरिया को तेल ट्रांसपोर्ट करने के संदेह में जिब्राल्टर में हिरासत में लिया गया था, अब बंदरगाह से रवाना कर दिया गया है जो ग्रीस जा रहा है।

मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, मरीन ट्रैकिंग में दिखाया गया है कि रविवार को मुक्त हुआ टैंकर भूमध्य सागर में पूर्व की ओर बढ़ रहा है और अपना गंतव्य ग्रीस का कलामाटा दर्शाया है।

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जिब्राल्टर जो कि ब्रिटिश क्षेत्र है, सरकार द्वारा यह बताने के बाद कि जहाज यूरोपीय संघ प्रतिबंधों का उल्लंघन कर सीरिया जा रहा है, चालक दल के 29 सदस्यों वाले जहाज को चार जुलाई को ब्रिटिश नौसेनिकों की मदद से जब्त किया गया था। चालक दल में भारत, रूस, लातविया और फिलीपींस के सदस्य थे।

बता दें कि जहाज 21 लाख बैरल तेल ले जा रहा था। हालांकि, ईरान ने इस बात को सिरे से नकार दिया था कि जहाज सीरिया जा रहा है।

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45 दिन बाद जहाज को किया गया रिहा

जिब्राल्टर के अधिकारियों ने ईरान से आश्वासन मिलने के बाद कि वह सीरिया में अपने माल को नहीं भेजेगा, 15 अगस्त को एड्रियन दरिया -1 को मुक्त कर दिया।

अगले दिन, अमरीकी न्याय विभाग ने जहाज को इस आधार पर हिरासत में रखने का अनुरोध दायर किया कि उसके ईरान के इस्लामिक रिवोल्यूशनरी गार्ड कॉर्प्स (आईआरजीसी) से संबंध हैं, जिसे उसने एक आतंकवादी समूह नामित किया है।

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जिब्राल्टर ने रविवार को एक बयान में कहा कि यह अनुरोध का अनुपालन नहीं कर सकता क्योंकि IRGC को यूरोपीय संघ द्वारा आतंकवादी संगठन के रूप में नहीं देखा गया है।

लंदन में ईरान के राजदूत हामिद बेईदीनजाद ने भी रविवार को एक ट्वीट में पुष्टि की कि सुपरटैंकर ने जिब्राल्टर में हिरासत में लिए जाने के 45 दिनों के बाद अंतर्राष्ट्रीय जल क्षेत्र में अपनी यात्रा शुरू कर दी है। अमरीका ने हालांकि इस पर अभी तक कोई प्रतिक्रिया नहीं दी है।

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