राज्य टेलीविजन की ओर से बताया गया कि राजधानी काहिरा ( Cairo ) के एक अस्पताल में मुबारक का इलाज चल रहा था, जहां उनका निधन हो गया। रिपोर्ट में कहा गया है कि उन्हें स्वास्थ्य संबंधी कई जटिलताएं थीं। हालांकि यह नहीं बताया कि उन्हें किस तरह की बीमारी थी। पूर्व राष्ट्रपति के बेटों में एक आला ने बताया कि हफ्ते पर पहले हुई सर्जरी के बाद उनकी देखभाल की जा रही थी और अब उनका निधन हो गया है।
मुबारक ने 1981 में मिस्र के चौथे राष्ट्रपति के रूप में सत्ता संभाली थी। मुबारक के निष्कान तक की अवधि को अरब स्प्रिंग क्रांति के रूप में जाना जाता है।
Former Egypt president Mohammed Morsi की मौत पर विवाद, लापरवाही बरतने के आरोप
इस बीच मुबारक अपने शासन को लेकर कई बार विवादों में रहे और मिस्र की जनता ने उनके खिलाफ व्यापक विरोध-आन्दोलन भी चलाया। अंततः करीब तीस साल तक मिस्र पर राज करने के बाद 2011 में उन्हें पद छोड़ना पड़ा। इतना ही नहीं, कई सालों तक जेल में भी बिताना पड़ा।
हालांकि 2017 में कई मामलों में होस्नी मुबारक को बरी कर दिया गया, जिसके बाद वे जेल से रिहा हुए। बता दें कि 2011 में सत्ता से बेदखल होने के बाद मुबारक के उत्तराधिकारी मोहम्मद मोरसी ( Mohammad morsi ) को लोकतांत्रिक तरीके यानी के मतदान के जरिए चुना गया था, लेकिन 2013 में सैन्य तख्तापलट करके उन्हें सत्ता से बेदखल कर दिया गया।
‘नेशनल हीरो के तौर पर याद किए जाएंगे होस्नी’
होस्नी मुबारक करीब 30 वर्षों तक सत्ता में रहे और इस प्रकार उन्होंने अरब जगत के सबसे ज्यादा जनसंख्या वाले देश का नेतृत्व किया। होस्नी ने अपने पीछे एक जटिल विरासत को छोड़ दिया क्योंकि उनके शासन में आंशिक रूप से भ्रष्टाचार, पुलिस क्रूरता, राजनीतिक दमन और आर्थिक समस्याओं से लोग ग्रस्त थे।
मुबारक पर कई तरह के आरोप भी लगे, लेकिन कुछ विशेषज्ञों का मानना है कि पूर्व राष्ट्रपति ने लंबे समय तक अपनी बेगुनाही कायम रखी और इसके लिए इतिहास उन्हें देशभक्त के तौर पर याद करेगा, जिन्होंने अपने देश की निस्वार्थ सेवा की।
मिस्र के पूर्व राष्ट्रपति मोहम्मद मुर्सी की कोर्ट में पेशी के दौरान मौत
मुबारक का जन्म 4 मई, 1928 में नील डेल्टा में एक गांव में हुआ था। वे 1949 में मिस्र की वायु सेना में शामिल हुए और फिर अगले वर्ष एक पायलट के रूप में स्नातक हुए। इसके बाद 1972 में मिस्र की वायु सेना के कमांडर-इन-चीफ बने।
योम किप्पुर युद्ध के दौरान सिनाई में इज़राइली बलों को करारी मात दी, जिसके बाद वे एक राष्ट्रीय नायक बन गए। मुबारक 14 अक्टूबर, 1981 को उपराष्ट्रपति थे, जब उनके गुरु और राष्ट्रपति अनवर सादात की एक सैन्य परेड की समीक्षा के दौरान सेनानियों द्वारा हत्या कर दी गई थी।
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