ईरान ने आंकड़ों को बताया ‘झूठ’
दूसरी तरफ, ईरान एमनेस्टी इंटरनेशनल के इन आंकड़ों को खारिज करते हुए इसे ‘पूरी तरह झूठ’ करार दिया है। जबकि एमनेस्टी का दावा है कि उसने ‘खौफनाक गवाहियां’ इकट्ठा की हैं। ये गवाह साफ-साफ दर्शाते हैं, अधिकारियों ने प्रदर्शनकारियों के ‘हत्याकांड’ की साजिश रची थी। इसके बाद अपने कार्रवाई पर पर्दा डालने के लिए उच्च स्तर पर ‘कड़े प्रतिबंध’ लगाने की प्लानिंग बनाई।
दमनकारी कार्रवाई के बारे में बोलने रोका गया
निगरानी संस्था ने अपने बयान में कहा, ‘ईरान के अधिकारियों ने 15 नवंबर को राष्ट्रव्यापी प्रदर्शन शुरू होने के बाद प्रदर्शनकारियों पर बर्बरतापूर्ण कार्रवाई की।’ एमनेस्टी ने आगे कहा कि हजारों प्रदर्शनकारियों के साथ मानवाधिकारों के रक्षकों, पत्रकारों एवं छात्रों’ की बड़ी संख्या में गिरफ्तारी हुई। ये सब सिर्फ इसलिए किया गया, ताकि ईरान की दमनकारी कार्रवाई के बारे में बोलने से इन्हें रोका जा सके। गौरतलब है कि ईरान में अचानक ईंधन की कीमतों में हुई बढ़ोतरी के बाद राष्ट्रव्यापी प्रदर्शन शुरू हुए थे।