खाड़ी देश

परमाणु करार को लेकर अमरीका की परेशानी बन सकता है ईरान

दरअसल 2016 में ट्रंप के राष्ट्रपति बनने के बाद उन्होंने इस करार को गलत बताया था और इससे पीछे हटने की धमकी भी दे चुके हैं।

Apr 22, 2018 / 03:59 pm

Shweta Singh

वाशिंगटन। अमरीका के सामने ईरान इस वक्त परेशानी का कारण बनता नजर आ रहा है। इसका कारण साल 2015 में हुए दोनों देशों के बीच एक परमाणु करार है। दरअसल 2016 में ट्रंप के राष्ट्रपति बनने के बाद उन्होंने इस करार को गलत बताया था और इससे पीछे हटने की धमकी भी दे चुके हैं। इसके साथ ही उन्होंने इस करार को मंजूरी देने के लिए पूर्व राष्‍ट्रपति पर भी निशाना साधा। बता दें कि हाल ही में उत्तर कोरिया के परमाणु परीक्षण से इनकार के बाद अमरीका की मुश्किलें कम होती दिखाई दे रहीं थी। लेकिन अब ईरान के राष्ट्रपति हसन रूहानी के परमाणु समझौते मामले में अमरीका को जवाब देने के बयान के बाद नई परेशानी के हालात बन रहे हैं।

इस संबंध में अपेक्षित और अप्रत्याशित कदम उठाने को तैयार: हसन रूहानी
ट्रंप ने इसे दुनिया के सबसे खराब समझौतों में से एक बताया था। अमरीकी राष्ट्रपति ने इस समझौते से पीछे हटने के लिए 12 मई तारीख नि‍धार्रित कर ली है। वहीं दूसरी तरफ ईरान के राष्ट्रपति हसन रूहानी का कहना है कि ईरान की परमाणु एजेंसी इस संबंध में अपेक्षित और अप्रत्याशित कदम उठाने के लिए पूरी तरह तैयार है। रूहानी का ये बयान सरकारी टेलीविजन पर दिए गए एक भाषण में आया। हालांकि उस भाषण में उन्होंने इस संबंध में उठाए जाने वाले किसी कदम का कोई ब्योरा नहीं दिया।

ईरान के केंद्रीय बैंक ने इस माह बाजार पर भी लगाया नियंत्रण
बता दें कि इस भाषण के दौरान रुहानी ने अमरीकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के मई में समझौते से अलग होने के संभावित फैसले का हवाला देते हुए कहा कि उनकी सरकार अमरीका के इस समझौते से हटने के बाद भी विदेशी मुद्रा बाजारों में होने वाली अस्थिरता से बचाव करना चाहती है। यही वजह है कि ईरान के केंद्रीय बैंक ने इस माह बाजार पर भी नियंत्रण लगा रखा है।

रॉबर्ट वुड ने दो दिन पहले किया था ये ऐलान
गौरतलब है कि इसी साल जनवरी में ट्रंप ने ब्रिटेन, फ्रांस और जर्मनी से अपील की थी वो अमरीका की तरफ से उजागर किए गए इस समझौते की गड़बड़ियों पर अपनी सहमति जताए। साथ ही अमरीका की तरफ से निरस्त्रीकरण राजदूत रॉबर्ट वुड ने दो दिन पहले ही बयान जारी किया था कि अमरीका इस मामले में अपने यूरोपीय सहयोगियों से गहन चर्चा कर रहा है, इसके लिए उन्होंने 12 मई की डेडलाइन निर्धारित की है। मामले में ईरान का कहना है कि अन्य पक्ष से समझौते पर बातचीत तक वह इससे जुड़ा ही रहेगा। हालांकि उसने यह भी साफ किया कि अमरीका के समझौते से पीछे हटने पर वह भी इस करार को तोड़ देगा।

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