बताया जा रहा है कि जिन इमारतों में विस्फोट ( Explode in Buildings ) हुआ वहां क्या काम होता था अभी इसकी कोई पुख्ता जानकारी नहीं मिल पाई है। लेकिन ये माना जा रहा है कि ये ईरानी सेना ( Irani Army ) के गुप्त अड्डे हैं। इस विस्फोट के बाद ईरान में सरकार के सुरक्षा उपायों को लेकर सवाल उठने शुरू हो गए हैं।
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हाल के दिनों में हुए ये तीसरे भीषण धमाके को लेकर ईरानी मीडिया ने इजरायल पर शक जताया है। ईरानी मीडिया के मुताबिक, इस हमले के पीछे भी इजरायल ( Israel ) का ही हाथ हो सकता है। तेहरान के जिस इलाके में विस्फोट की आवाज सुनी गई है वहां सेना के कई गुप्त अड्डे मौजूद हैं। रिपोर्ट के अनुसार, इस विस्फोट का निशाना यही सैन्य अड्डे ( military base ) बताए जा रहे हैं।
तीन सप्ताह में तीसरा बड़ा धमाका
ईरानी सेना की विशेषज्ञ फबियान हिंज ने बताया कि जिस इलाके में धमाका हुआ वहां ईरान के दो अंडरग्राउंड केंद्र हैं। इसमें से एक में केमिकल वेपन पर शोध होता है और दूसरा अज्ञात सैन्य उत्पादन केंद्र है।
बीते तीन सप्ताह में ईरान में यह तीसरा बड़ा विस्फोट ( Third major blast ) है। इससे पहले हुए दो विस्फोट ईरान के प्रमुख सैन्य और परमाणु ठिकाने खोजिर में हुए थे जहां देश का सबसे बड़ा मिसाइल उत्पादन केंद्र ( Missile production center ) और नतांज परमाणु ठिकाना ( Natanz nuclear base ) है। नतांज में यह हमला सेंट्रीफ्यूज असेंबली की बिल्डिंग ( Centrifuge assembly building ) में हुआ था।
इजरायल पर हमले का शक
बता दें कि ईरान ने खोजिर में हुए ब्लास्ट को गैस टैंक में लीक की घटना बताया था। लेकिन रक्षा जानकारों का मानना है कि ये कोई हादसा नहीं, बल्कि इजरायल की खुफिया एजेंसियों ने हमला किया था। पश्चिम एशियाई देशों ( West asian countries ) की खुफिया एजेंसी के अधिकारियों का भी मानना है कि नतांज परमाणु केंद्र पर हमले के पीछे इजरायल का हाथ था।
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ईरानी सेना के एक सदस्य ने जानकारी दी है कि इस हमले में विस्फोटकों का इस्तेमाल किया गया था। दो दिन पहले ही ईरान ने पुष्टि की थी कि भूमिगत नतांज परमाणु स्थल पर क्षतिग्रस्त हुई इमारत एक नया सेंट्रिफ्यूज केंद्र था। ईरान की आधिकारिक समाचार एजेंसी IRNA ने अपनी रिपोर्ट में बताया है कि सेंट्रिफ्यूज वह मशीन होती है जिसमें विभिन्न घनत्व वाले द्रवों को या ठोस पदार्थ से तरल पदार्थों को अलग करने के लिए सेंट्रिफ्यूजल फोर्स का इस्तेमाल होता है।