हालांकि, सऊदी सरकार की इस पहल पर सवाल उठ रहे हैं। वजह यह है कि यह पुनर्वास केंद्र एक फाइव स्टार होटल या रिजॉर्ट जैसा है, जहां पर इंडोर स्विमिंग पूल, सूरज की रोशनी में खाना खाने का इंतजाम और खातिरदारी के लिए तत्पर स्टाफ। बावजूद इसके कई लोग फिर से आतंकी गतिविधियों में शामिल होते नजर आ रहे हैं। आतंकी संगठनों के जुड़े लोग यहां सफेद कपड़ों में आजादी से घूमते हैं।
धर्म गुरु और मनोवैज्ञानिक करते हैं देखरेख
हिंसा का रास्ता अपनाने वाले लोगों को यहां धर्म गुरुओं और मनोवैज्ञानिकों की देखरेख में रखा जाता है। इसका मकसद आतंकी गतिविधियों में जेल की सजा काट चुके लोगों को फिर से जिहाद के रास्ते पर जाने से रोकना है। इसके लिए उनकी काउंसलिंग होती है।
हिंसा का रास्ता अपनाने वाले लोगों को यहां धर्म गुरुओं और मनोवैज्ञानिकों की देखरेख में रखा जाता है। इसका मकसद आतंकी गतिविधियों में जेल की सजा काट चुके लोगों को फिर से जिहाद के रास्ते पर जाने से रोकना है। इसके लिए उनकी काउंसलिंग होती है।
3300 आतंकियों का हुआ इलाज
2004 में बने इस पुनर्वास केंद्र में अब तक 3,300 से ज्यादा आतंकियों का इलाज किया है। सेंटर का दावा है कि उसकी सफलता की दर 86 प्रतिशत है। यहां से निकलने वाला कोई व्यक्तिअगर दस साल तक किसी जिहादी कार्रवाई में शामिल नहीं होता तो उसे इलाज की कामयाबी मानी जाती है। बाकी 14 प्रतिशत लोगों में भटकाव देखने को मिला है।
2004 में बने इस पुनर्वास केंद्र में अब तक 3,300 से ज्यादा आतंकियों का इलाज किया है। सेंटर का दावा है कि उसकी सफलता की दर 86 प्रतिशत है। यहां से निकलने वाला कोई व्यक्तिअगर दस साल तक किसी जिहादी कार्रवाई में शामिल नहीं होता तो उसे इलाज की कामयाबी मानी जाती है। बाकी 14 प्रतिशत लोगों में भटकाव देखने को मिला है।