पेंशनरों के प्रति इस रवैये ने अस्पताल प्रशासन की भी पोल खोलकर रख दी है। अब एनएच-1 वाली दुकान से पेंशनरों को दवाइयां दिलाने की जिला कलक्टर से मांग उठाई गई है। बुजुर्गों की परेशानी सोमवार को तब नजर आई, जब नया वित्तीय वर्ष लगते ही बुजुर्ग पेंशनर अपनी मेडिकल डायरियों का नवीनीकरण कराने व निरंतर चल रहे इलाज को सुचारू रखने के लिए दवाइयां लेने पहुंचे थे। दवा उपभोक्ताओं की दुकानों पर पेन्शनर्स की इतनी भीड़ थी कि करीब 20 से 25 बुजुर्ग लंबे इंतजार के बाद लौट गए। वहीं 25 से 30 बुजुर्ग चाय की कैंटीन या पास में पेड़ की छांव में बैठकर अपनी बारी का इंतजार करते रहे।
दो पुरुष, एक महिला हुईबेहोश तेज गर्मी में कई वृद्ध पुरुष-महिला कतार में खड़े थे। इस दौरान थोड़ी थोड़ी देर के अंतराल में दो पुरुष और एक महिला पेंशनर अचानक बेहोश हो गए तो सभी ने उनको संभाला। एक के बाद एक बेहोश होते पेंशनरों को देखकर लोगों ने अस्पताल प्रशासन के खिलाफ नाराजगी जताई कि वहां पेयजल के लिए प्याऊ तक नहीं लगाईजा सकी।
पेन्शनर्स का आरोप है कि उपभोक्ता भंडार वाले दुकानदार भी मनमर्जी पर उतारू थे। यह देखा गया कि इतनी भीड़ के बाद भी दुकानदार अपने चहेतों का नम्बर पहले लेकर उनको दवाइयां दे रहे थे। कई पेंशनरों ने इसका विरोध भी किया। लेकिन वे मनमर्जी करते रहे।
इंतजार बाद लौटे निराश अस्पताल परिसर में कहने को एनएच-1, एनएच-2 व एनएच-3 दवा उपभोक्ता भंडार की दुकानें संचालित हैं। लेकिन एनएच-1 पर केवल उन्हीं को दवाइयां देने की अनुमति है, जो नकद में खरीदते हों। वहीं दो दुकानों पर केवल मेडिकल डायरी वाले दवा ले सकते हैं।
ऐसे में इन पर भीड़ और दुकानदारों की
मनमर्जी का आलम रहता है। इस कारण दवाई के इंतजार में सुबह से दोपहर हो जाती है तब दवाई मिल पाती है। दोबारा आने पर मजबूर
मनमर्जी का आलम रहता है। इस कारण दवाई के इंतजार में सुबह से दोपहर हो जाती है तब दवाई मिल पाती है। दोबारा आने पर मजबूर
दुकान बंद करने का समय होते ही दुकानदार शटर गिराकर यह कहते हुए निकल जाते हैं कि समय हो गया है अब शाम चार बजे आना। ऐसे में नम्बर नहीं आने पर हताश बुजुर्गों दोबारा आने को मजबूर हो रहे हैं। सोमवार को परेशान होकर लौटे रिटायर्ड राज्य कर्मचारी रामचंद्र शर्मा, ताराचंद्र शर्मा, सुरेन्द्र, टीकेंद्र आदि ने जिला कलक्टर से एनएच-1 दुकान से भी पेन्शनर्स को दवा दिलाने की मांग की है।