कुछ दिनों पहले ही तुर्की के राष्ट्रपति रेसेप तैय्यप एर्दोगन ( Turkish President Recep Tayyip Erdogan ) ने ऐतिहासिक हागिया सोफिया को म्यूजियम से मस्जिद में बदलने का आदेश दिया था। एर्दोगन के इस आदेश को लेकर दुनियाभर से कई तरह की प्रतिक्रियाएं सामने आई थी और इसका विरोध भी किया था। खुद तुर्की के नोबेल प्राइज से सम्मानित लेखक ओरहान पामुक ( Orhan Pamuk ) ने इस फैसले पर दुख और नाराजगी जताई थी।
बता दें कि तुर्की के सुप्रीम कोर्ट ( Supreme Court of Turkey ) ने इस्तांबुल स्थित विश्व प्रसिद्ध हागिया सोफिया संग्रहालय को मस्जिद में बदलने का फैसला सुनाया था।
532 ईस्वी में बना था हागिया सोफिया
बता दें कि 1500 साल प्राचीन विरासत ( Ancient Heritage ) को समेटे यूनेस्को ( UNESCO ) की विश्व विरासत में शामिल इस विश्व प्रसिद्ध इमारत का निर्माण 532 ईस्वी में एक चर्च के रूप में हुआ था। लेकिन जब 1453 में इस शहर पर इस्लामी ऑटोमन साम्राज्य ( Islamic Ottoman Empire ) का कब्जा हुआ तो इस खूबसूरत चर्च को तोड़कर मस्जिद में तब्दील कर दिया गया। बाद में काफी विवादों के बाद 1934 में इस मस्जिद को एक संग्रहालय में बदल दिया गया। हालांकि एक बार फिर से तुर्की के इस्लामी और राष्ट्रवादी समूह लंबे समय से हागिया सोफिया संग्रहालय ( Hagia Sophia Museum ) को मस्जिद में बदलने की मांग कर रहे थे।
हागिया सोफिया का निर्माण बाइजेंटाइन साम्राज्य ( Byzantine Empire ) के शासक जस्टिनियन ने किया था। उस दौर में इस्तांबुल को कुस्तुनतुनिया या कॉन्सटेनटिनोपोल ( Kustuntunia or Constantinople ) के नाम से जाना जाता था। इस इमारत को बनाने में पांच साल का वक्त लगा। जब 537 ईस्वी में बन कर तैयार हुआ तो इसे एक चर्च के रूप में स्थापित किया गया।
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इसके बाद करीब 950 साल बाद यानि की 1453 में इस शहर पर इस्लामी ऑटोमन साम्राज्य सुल्तान मेहमत द्वितीय ने हमला कर कब्जा कर लिया। इसी दौर में इस शहर का नाम कुस्तुनतुनिया से बदलकर इस्तांबुल रखा गया। फिर कुछ कट्टरपंथियों ने इस एतिहासिक चर्च को तोड़फोड़कर मस्जिद में बदल दिया। इतना ही नहीं, उस दौर में शहर के तमाम प्राचीन एतिहासिक इमारतों को तोड़ दिया और कई को मस्जिद में बदल दिया।
बता दें कि इसके बाद से करीब 500 सालों तक वह इमारत एक मस्जिद के तौर पर जानी जाती रही है। लेकिन 1930 में फिर से एक नया मोड़ आया। आधुनिक तुर्की के संस्थापक कमाल अता तुर्क ( Turkish founder Kamal Ata Turk ) ने धर्मनिरपेक्षता की मिशाल कायम करने के लिए इस मस्जिद को संग्राहलय में बदल दिया और फिर 1935 में हागिया सोफिया को बतौर एक म्यूजियम आम जनता के लिए खोल दिया गया।