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मंडे मेगा स्टोरी : डायलिसिस यूनिट की 5 में से 2 मशीनें कई दिनों से खराब

मरीजों को डायलिसिस के लिए करना पड़ रहा 3 से 4 घंटे का इंतजारमरीज का बजन तौलने की मशीन भी 6 माह बाद भी नहीं बदल सकी

गुनाMar 04, 2019 / 10:51 am

Narendra Kushwah

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मंडे मेगा स्टोरी : डायलिसिस यूनिट की 5 में से 2 मशीनें कई दिनों से खराब

गुना. जिला अस्पताल की डायलिसिस यूनिट बीते काफी समय से बीमार चल रही है। क्योंकि यहां रखी 5 मशीनों में से सिर्फ तीन ही चालू हैं जबकि 2 मशीनें कई दिनों से खराब बनी हुई हैं। जिससे दूर दूर से आने वाले मरीजों को डायलिसिस कराने के लिए घंटों इंतजार करना पड़ रहा है। यही नहीं मरीज का बजन तौलने वाली मशीन भी बीते 6 माह से खराब बनी हुई है लेकिन आज तक नई मशीन यूनिट स्टाफ को मुहैया नहीं कराई गई है। जिससे मरीजों के साथ-साथ स्टाफ को भी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है।
जानकारी के मुताबिक जिला अस्पताल परिसर में मेटरनिटी विंग के नजदीक बने नए भवन की दूसरी मंजिल पर डायलिसिस यूनिट संचालित है। जबकि फस्र्ट फ्लोर पर एक साइड में जिला शीघ्र हस्तक्षेप केंद्र संचालित है तथा दूसरी ओर खाली पड़े कक्षों में प्रसूताओं को भर्ती रखा जा रहा है।
गौर करने वाली बात है कि डायलिसिस कराने वाले मरीजों को डॉक्टर की ओर से सख्त हिदायत रहती है कि वे कम से कम पैदल चलें तथा सीढिय़ां बिल्कुल भी न चढ़ें। लेकिन विशेषज्ञ चिकित्सक की इन हिदायतों का पालन गुना की डायलिसिस यूनिट में नहीं हो पा रहा है। क्योंकि यहां के स्वास्थ्य महकमे ने डायलिसिस के गंभीर मरीजों की सुविधा का बिल्कुल भी ख्याल नहीं रखा है।
यही कारण है कि पहले तो डीईआईसी भवन के फस्र्ट फ्लोर पर पर्याप्त जगह होने के बावजूद डायलिसिस यूनिट को दूसरी मंजिल पर शिफ्ट किया गया। जहां गंभीर मरीजों को ऊपर तक जाने के लिए कोई सुविधाजनक इंतजाम नहीं हैं। गौर करने वाली बात है कि लिफ्ट तो छोडि़ए रैंप तक की सुविधा नहीं है। मजबूरी में मरीजों को पहले तो काफी दूर तक पैदल ही चलना पड़ता है फिर डीईआईसी भवन की कई टेड़ी मेढ़़ी सीढिय़ों को चढऩे विवश होना पड़ता है। कुल मिलाकर डायलिसिस यूनिट तक पहुंचने में मरीज की सांस फूल जाती है। लेकिन यहां पहुंचने के बाद भी मरीज की परेशानी कम नहीं होती हैं। क्योंकि डायलिसिस यूनिट में कुल 5 ही मशीनें हैं जिनमें से दो खराब हैं। ऐसे में आने वाले मरीजों को तब तक इंतजार करना पड़ता है जब तक कि भर्ती मरीज की डायलिसिस पूर्ण नहीं हो जाती। यहां बता दें कि डायलिसिस यूनिट की 5 में से तीन मशीनें ही चालू होने के कारण अन्य मरीज को बाहर बैठकर इंतजार करना पड़ता है, ऐसी स्थिति में भर्ती मरीज को डायलिसिस होने के पश्चात ज्यादा देर तक बैड पर आराम नहीं करने दिया जाता है। जबकि नियमानुसार डायलिसिस पूर्ण होने के पश्चात करीब 30 मिनट तक मरीज को स्टाफ अपनी देखरेख में रखता है।

एक दिन में 5 से 7 मरीज कराते हैं डायलिसिस
डायलिसिस यूनिट में पदस्थ स्टाफ के मुताबिक हमारे यहां प्रतिदिन पांच से सात मरीज डायलिसिस कराने आते हैं। चूंकि अभी हमारे पास पांच मशीनों में से तीन ही चालू हैं इसलिए थोड़ा मरीजों को इंतजार करना पड़ रहा है।

डायलिसिस से पहले मरीज का बजन लेना होता है जरूरी
डायलिसिस यूनिट के टेक्नीकल स्टाफ के मुताबिक जिस मरीज का डायलिसिस होना है उसका पहले बजन लेना बहुत जरूरी होता है। क्योंकि उसके आधार पर ही डायलिसिस की पूरी प्रक्रिया निर्भर करती है। यदि मशीन में गड़बड़ी के चलते मरीज का बजन थोड़ा भी कम या ज्यादा होता है तो डायलिसिस के दौरान मरीज को परेशानी हो सकती है। हमारे पास जो बजन तौलने की मशीन है वह काफी समय से गडग़ड़ चल रही है। इसकी जानकारी हमने बीते माह जिला अस्पताल के निरीक्षण पर आए हैल्थ डायरेक्टर को दी थी। इसके अलावा सिविल सर्जन को भी इसकी जानकारी है लेकिन अभी तक नई मशीन उपलब्ध नहीं कराई गई है।

सीएस नहीं उठाते फोन
जिला अस्पताल की डायलिसिस यूनिट की कुल 5 मशीनों में दो मशीन तथा मरीज का बजन लेने वाली मशीन का लंबे समय से खराब पड़े होने के संबंध में जब सिविल सर्जन डा एसपी जैन से दो दिन लगातार फोन पर संपर्क किया गया तो उन्होंने फोन रिसीव नहीं किया।

प्राइवेट में 2900 जबकि सरकारी में 500 में हो जाती है डायलिसिस
मैं किडनी पेशेंट हूं और डॉक्टर के अनुसार हफ्ते में दो बार डायलिसिस करानी होती है। इससे पहले निजी अस्पताल में डायलिसिस कराई तो 2900 रुपए चार्ज लगा जबकि जिला अस्पताल में यह मात्र 500 रुपए में ही हो जाती है।
असगर खान, मरीज

जिला अस्पताल में डायलिसिस कराने में पैसे तो कम लगते हैं लेकिन दूसरी मंजिल पर डायलिसिस होने से ज्यादा परेशानी आती है। क्योंकि यहां न तो रैंप है और न ही लिफ्ट की सुविधा है। इसलिए बाहर से पैदल चलकर आना पड़ता है फिर काफी संख्या में सीढिय़ां भी चढऩी पड़ती हैं। अभी यहां की कुछ मशीनें खराब हैं इसलिए डायलिसिस कराने के लिए 3 से 4 घंटे का इंतजार करना पड़ता है।
सुरेश कुमार, मरीज

इनका कहना है
डायलिसिस यूनिट वैसे तो सिविल सर्जन के कार्यक्षेत्र में आती है लेकिन फिर भी यदि खराब मशीनों को ठीक कराने में शासन स्तर से कोई परेशानी आ रही है तो हम पूरी मदद करेंगे। इस यूनिट के संचालन में मशीनों से जुड़ी कोई भी समस्या है तो इसके बारे में सीएस ही सही जानकारी दे पाएंगे।
डा पी बुनकर, सीएमएचओ गुना
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