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जिला अस्पताल में मॉनीटरिंग के लिए एक नहीं बल्कि 5 अधिकारी फिर भी व्यवस्थाएं चारों खाने चित्त

वार्ड के अंदर से लेकर पूरे अस्पताल परिसर में सीवर चैंबर ओवर फ्लो, खुले में फैल रही गंदगीनालियां चौक, टॉयलेट में इकट्ठा हो रहा पानी, मरीज बोले जाएं तो कहां, यहां सुनने वाला कोई नहीं

गुनाMay 17, 2022 / 01:17 am

Narendra Kushwah

पेयजल पाइप लाइन फूटी, सीवर में मिलकर आम रास्ते का यह हुआ हाल।

गुना. जिला अस्पताल ने अप्रेल माह में कायाकल्प अवार्ड के तहत तीन लाख रुपए की पुरस्कार राशि जीती थी। लेकिन वर्तमान में अस्पताल की हालत देखकर कोई भी इस बात पर विश्वास नहीं करेगा। क्योंकि अस्पताल के अंदर से लेकर बाहर पूरे परिसर में इतनी गंदगी व्याप्त है कि मुंह पर रुमाल लगाए बिना अंदर प्रवेश नहीं कर सकते। जहां देखो वहां सीवर चैंबर ओवर फ्लो हो रहा है। चैंबर से निकली गंदगी आम रास्ते में लगातार फैल रही है। जिससे मरीज व उनके अटैंडरों को आने जाने में दिक्कत का सामना करना पड़ रहा है। गौर करने वाली बात है इन्हीं रास्तों से डॉक्टर व पैरामेडिकल स्टाफ भी दिन में दो बार निकल रहा है लेकिन कोई भी समस्या को दूर करने प्रयास नहीं कर रहा है। इस बात से अंदाजा लगाया जा सकता है कि अस्पताल प्रबंधन यहां की व्यवस्थाओं के प्रति कितना गंभीर है।
यहां बता दें कि जिला अस्पताल में स्वास्थ्य सेवाओं व व्यवस्थाओं को देखने के लिए शासन ने एक नहीं बल्कि 5 अधिकारियों की तैनाती की है। इनमें सबसे पहले सिविल सर्जन सह अस्पताल अधीक्षक, दूसरे नंबर पर प्रबंधक, तीसरे पर आरएमओ, चौथे पर स्टीवर्ड तथा पांचवें नंबर पर इंजीनियर हैं। इन सबके बावजूद अस्पताल में व्यवस्थाएं चारों खाने चित्त हैं। अस्पताल का ऐसा कोई वार्ड नहीं है जहां मरीजों से जुड़ी समस्या न हो। लेकिन सीवर चैंबर की समस्या ज्यादा गंभीर है। क्योंकि इसकी वजह से मरीज वार्ड की टॉयलेट का इस्तेमाल नहीं कर पा रहे हैं। चिंता की बात तो यह है कि इस समस्या की जानकारी सीएस से लेकर सभी अन्य अधिकािरयों को है लेकिन उन्होंने अब तक कोई कदम नहीं उठाया है।
आखिर चार साल बाद भी समस्या का हल क्यों नहीं
जिला अस्पताल में सीवर की जो समस्या इन दिनों उभरकर सामने आई है, असल में यह अचानक उत्पन्न नहीं हुई है। पिछले चार साल से अस्पताल में यह समस्या बनी हुई है। शुरूआत में सीवर लाइन न होने के चलते इसे समस्या बताया गया। लेकिन बाद में खुदाई कर सीवर लाइन डाल दी गई। अस्पताल के अंदर आर्थोवार्ड के सामने पानी पीने और बर्तन धोने नया स्टैंड भी बनाया गया। इसी तरह जिन वार्डों में पानी भरने की समस्या थी वह भी दूर हो गई थी लेकिन यह ठीक ठाक व्यवस्था ज्यादा दिन नहीं चल सकी। क्योंकि इस समस्या की मूल वजह में सही सफाई न होना था। अस्पताल में सफाई करने के लिए करीब 50 कर्मचारी मौजूद हैं। जो सुबह-शाम शिफ्ट के हिसाब से अपने-अपने निर्धारित वार्डों में यह काम करते हंै। इनकी मॉनीटरिंग की जिम्मेदारी सबसे पहले स्टीवर्ड, दूसरे नंबर पर प्रबंधक एवं तीसरे नंबर आरएमओ तथा चौथे नंबर पर सिविल सर्जन की है। लेकिन इनमें से एक भी अपनी जिम्मेदारी ठीक से नहीं निभा रहा है।

यह आ रही परेशानी
पीआईसीयू वार्ड के प्रवेश द्वार पर ही सीवर चैंबर ओवर फ्लो हो रहा है। जिसका गंदा पानी बहकर आगे तक जा रहा है। मरीज, परिजन व अस्पताल स्टाफ इसी कीचढ़ से होकर वार्ड में जाने को विवश है। दूसरा सीवर चैंबर अस्पताल की किचिन के ठीक सामने है। जिसका गंदा पानी पूरे आम रास्ते में भर गया है। पास ही में ओवर हैड टैंक से निकली पेयजल पाइप लाइन फूटी है, उसका पानी भी सीवर की गंदगी में मिल रहा है। हालात यह बन चुके हैं कि पैदल निकलने भी रास्ता नही बचा। जबकि यहां बनी किचिन से पूरे अस्पताल को भोजन, चाय, नाश्ता वितरित किया जाता है।
पूरे अस्पताल परिसर में एक भी वार्ड ऐसा नहीं है जहां वार्ड के अंदर पेयजल उपलब्ध हो सके। यहां तक कि हाथ धोने तक को टोंटी की व्यवस्था नहीं है। तीन साल पहले आर्थो वार्ड के सामने एक स्टंैड बनाया गया था, जहां तीन टोंटियां लगाकर हाथ और बर्तन धोने बेसिन भी बनाई गई थी। लेकिन नाली चौक होने की वजह से यह व्यवस्था भी फेल हो गई। चौक नाली को खोलने सीवर चैंबर निकाले गए जो आज तक खुले पड़े हंै। नालियों में सीधे कचरा फेंकने की वजह से सीवर चंैबर चौक हो रहे हंै। इस ओर किसी का ध्यान नहीं है।

इनका कहना
जिला अस्पताल में सीवर चैंबर ओवर फ्लो का मामला हो या फिर वार्ड के अंदर पानी रुकने का, यह दोनों ही समस्या ठीक ढंग से सफाई न करने का कारण उत्पन्न हुई हैंं। हम इस समस्या को लेकर आरएमओ, प्रबंधक तथा सिविल सर्जन को अवगत करा चुके हैं।
विनोद सुनेरे, इंजीनियर
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