scriptमेटरनिटी विंग में ऑपरेशन का खौफ | A Danger of Operation in the Maternity Wing | Patrika News

मेटरनिटी विंग में ऑपरेशन का खौफ

locationगुनाPublished: Mar 10, 2019 08:44:14 pm

Submitted by:

brajesh tiwari

स्टाफ के कहने पर ब्लड बैंक से खून भी ले आए लेकिन करीब एक घंटे तक मरीज को ब्लड नहीं चढ़ाया गया और कुछ देर बाद कहा गया कि अब जरूरत नहीं है। जब परिजन खून को वापस करने ब्लड बैंक गए तो वहां का स्टाफ बोला कि यह खून अब खराब हो चुका है क्योंकि इसे इतनी देर तक बाहर नहीं रखा जाता है।

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गुना. जिला अस्पताल की मेटरनिटी विंग में बीते काफी समय ऑपरेशन (सीजर) का भय दिखाकर मरीजों से मुुंह मांगी रकम वसूली जा रही है।

गुना. जिला अस्पताल की मेटरनिटी विंग में बीते काफी समय ऑपरेशन (सीजर) का भय दिखाकर मरीजों से मुुंह मांगी रकम वसूली जा रही है। इस दौरान जो मरीज ऑपरेशन की बात सुनकर डर गया वह या तो स्टाफ को मुंह मांगी रकम दे देता है या फिर ऑपरेशन से बचने किसी निजी अस्पताल में मरीज को ले जाता है। मेटरनिटी विंग में प्रसूताओं व उनके परिजनों से इस तरह का व्यवहार आज भी जारी है, क्योंकि इसे रोकने के लिए अस्पताल प्रबंधन ने कोई कदम नहीं उठाए हैं।
सरकारी में कहा सीजर होगा
ग्राम रामटेड़ी निवासी मालती कुशवाह को परिजन दर्द होने पर सबसे पहले बीनागंज अस्पताल ले गए। जहां जांच के उपरांत डॉक्टर व स्टाफ ने जिला अस्पताल रैफर कर दिया। यहां मेटरनिटी में भी स्टाफ ने मालती की जांच की और परिजनों से कहा कि ऑपरेशन करना पड़ेगा इसलिए पहले तो आप एक बॉटल खून की व्यवस्था कर लो। क्योंकि पेट में बच्चे की स्थिति ठीक नहीं है, बच्चे को सांस लेने में तकलीफ है। यह सुनते ही परिजन डर गए और ब्लड की व्यवस्था में लग गए और किसी तरह रिश्तेदार को बुलाकर एक बॉटल खून की व्यवस्था हो गई। स्टाफ के कहने पर ब्लड बैंक से खून भी ले आए लेकिन करीब एक घंटे तक मरीज को ब्लड नहीं चढ़ाया गया और कुछ देर बाद कहा गया कि अब जरूरत नहीं है। जब परिजन खून को वापस करने ब्लड बैंक गए तो वहां का स्टाफ बोला कि यह खून अब खराब हो चुका है क्योंकि इसे इतनी देर तक बाहर नहीं रखा जाता है। सरकारी अस्पताल में ऐसे व्यवहार से परेशान होकर परिजन मालती को एक प्राइवेट अस्पताल में ले गए। जहां जांच उपरांत डॉक्टर ने कहा कि न तो मरीज को ब्लड की जरूरत है और न ही सीजर हो गया और बाद में भी यही हुआ। मालती की नॉर्मल डिलेवरी हुई। लेकिन परिजनों के अनुसार इस सामान्य डिलेवरी में भी उन्हें करीब 25 हजार का खर्च आया। यह राशि जुटाने के लिए उन्होंने आनन फानन में रिश्तेदार से उधार लिए। चूंकि नॉर्मल डिलेवरी में भी मरीज को करीब 3 दिन भर्ती रखा जाता है। लेकिन प्राइवेट अस्पताल में इतने दिन भर्ती रखने पर और पैसे खर्च होते इसलिए मजबूरी में मालती को जिला अस्पताल में भर्ती करना पड़ा। यहां के स्टाफ को जब मरीज के संबंध में जानकारी लगी कि यह मरीज प्राइवेट से आया है तो हमारे साथ काफी रुखा व्यवहार हुआ और डिस्चार्ज के बाद मरीज का वह पर्चा नहीं दिया जिससे प्रसूता व बच्चे को लगाए गए टीकों की पूरी जानकारी अंकित थी। इसके अभाव में वह सरकारी योजनाओं के लाभ से भी वंचित हो गया।

मामले की जांच कर कार्रवाई करेंगे
जिला अस्पताल की मेटरनिटी विंग में यदि ऐसा हो रहा है तो गलत है। पीडि़त सीएमएचओ को लिखित शिकायत दर्ज कराएं, हम पूरे मामले की जांच कराकर कार्रवाई करेंगे।
डा पी बुनकर, सीएमएचओ गुना

मरीज संबंधित ट्रेप करें, कार्रवाई होगी
मेरे हिसाब से तो रिश्वत लेना और देना दोनों ही जुर्म है। मेटरनिटी विंग में यदि कोई स्टाफ पैसा मांग रहा है तो उसे कतई पैसा न दें। मरीज या परिजन सीधे मेरे पास आएं और लिखित शिकात दर्ज कराएं कार्रवाई जरूर होगी। अटैंडर पैसे मांगने वाले को ट्रेप करें और सबूत मुझे दे। फिर देखो मैं क्या करता हूं।
डा एसपी जैन, सिविल सर्जन जिला अस्पताल गुना

मुझे जानकारी नहीं मरीज शिकायत करें
मेटरनिटी विंग कौन स्टाफ ऑपरेशन की बात कहकर मरीज या अटैंडर को डरा रहा है। अभी तक इस तरह की जानकारी मुझे नहीं मिली है। मरीज या परिजन मेरे पास आएं और शिकायत करें, कार्रवाई करेंगे।
उर्मिला मांढवे, इंचार्ज मेटरनिटी विंग जिला अस्पताल गुना
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