नानाखेड़ी मंडी में वर्तमान में जो हालात निर्मित हुए हैं, उसे देखकर यहां आने वाले किसानों का कहना है कि अब इस मंडी में अकेले किसान को उपज बेचना आसान नहीं है। यदि वह यहां उपज बेचने आता है तो सबसे पहले वह अपनी उपज घर या मंडी के बाहर ही तुलवा कर आए। यही नहीं वह अपने साथ कम से दो से तीन लोगों को लेकर आए ताकि एक व्यक्ति उपज की रखवाली कर सके।
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पेयजल और भोजन की व्यवस्था नहीं
मंडी में उपज बेचने आने वाले किसान के समक्ष केवल सुरक्षा की ही चिंता नहीं है बल्कि यहां पेयजल और भोजन की भी कोई व्यवस्था नहीं है। परिसर में जगह-जगह उपज की तौल होती है। लेकिन पेयजल के इंतजाम सिर्फ मंडी समिति कार्यालय पर ही हैं। ऐसे में किसान अपनी उपज को छोड़कर पानी पीने भी नहीं जा सकता। वहीं शासन की ओर से मंडी परिसर में जो कैंटीन की व्यवस्था थी वह काफी समय से बंद पड़ी है। कैंटीन के बाहर लिखा हुआ है कि किसान भोजनालय 20 रुपए में 6 पूड़ी और सब्जी फ्री। कृषक कूपन से यह भोजन 5 रुपए में 6 पूड़ी सब्जी प्राप्त करें। बुधवार को जब यहां पत्रिका टीम आई तो यह भोजनालय बंद मिला। किसानों ने बताया कि वे यहां कई बार आए लेकिन उन्हें कभी खुला नहीं मिला। किसान या तो घर से ही खाना लाते हैं या फिर उन्हें एक दिन से ज्यादा यहां रुकना पड़े तो उन्हें बाहर होटल पर ही खाना पड़ता है, जो काफी महंगा पड़ता है। वहीं अकेला किसान उपज को छोड़कर बाहर जा भी नहीं पाता।
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उपज का कट्टा तो छोडि़ए ट्रॉली तक जा चुकी है चोरी
नानाखेड़ी मंडी में चोरी का यह आलम है कि यहां किसानों की आंखों के सामने से ही उपज तो चोरी हो ही जाती है लेकिन एक बार ऐसा भी मामला सामने आ चुका है जब उपज न बिकने पर किसान रात में यहीं ठहरा था। वह खाना खाने मंडी से बाहर गया तो इतने उपज से भरी ट्रॉली व्यापारिक फर्म के सामने से ही गायब हो गई। मामला कैंट थाने पहुंचा। विवेचना के पश्चात खुलासा हुआ कि जिस व्यापारिक फर्म ने इसे खरीदा था उसने ही इसे रातों रात गायब करवा दिया था।
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तौल कांटों की समय-समय पर जांच नहीं
मंगलवार को किसान की उपज तौल में सामने आई गड़बड़ी के मामले ने यह उजागर कर दिया है कि मंडी में जो इलेक्ट्रॉनिक तौल कांटे लगे हैं वह पूरी तरह से विश्वसनीय नहीं हैं। वहीं नापतौल विभाग की कार्यप्रणाली को भी उजाकर कर दिया है, जिसकी जिम्मेदारी है कि वह मंडी में औचक कार्रवाई करते हुए तौल कांटों की जांच करे। लेकिन आज तक ऐसा नहीं हुआ है। यही कारण है कि किसान व आम उपभोक्ता हर दिन तौल में गड़बड़ी का शिकार होकर आर्थिक नुकसान भुगत रहा है।