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administration Ignore : 3rd क्लास कर्मचारी को बना दिया 2nd क्लास अधिकारी, अब सीनियरों पर दिखाता है अकड़

locationगुनाPublished: Aug 22, 2019 12:09:49 pm

Submitted by:

Amit Mishra

वन विभाग के ड्राफ्टमैन, योग्यता हायर सेकंडरी और बने हुए हैं जिला संयोजक
मामला आदिम जाति कल्याण विभाग के प्रभारी जिला संयोजक बीके माथुर का
विभाग के अधिकारी को आदेश होने के बाद भी नहीं दिया चार्ज,
शिवपुरी जिले में चारसौबीसी के मामले में भी हैं आरोपी,
हाल में देहरदा पर कार से एक को कुचला, जिस पर हुआ था हंगामा

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गुना। वन विभाग van vibhag का ड्राफ्टमैन (मान चित्रकार) बीके माथुर बीते 8 महीने से आदिम जाति कल्याण विभाग में जिला संयोजक का प्रभारी बने हुए हैं। विभाग के बाबुओं से कम योग्यता होने पर भी वे महज हायर सेकंडरी Higher secondary और आईटीआई में डिप्लोमा की दम पर अपने से सीनियर पदों के अधिकारियों पर अफसरशाही चला रहे हैं। विभाग के आयुक्त ने जनवरी 2019 में क्षेत्रीय संयोजक योगेंद्र वर्मा को प्रभार देने का आदेश भी जारी किया, लेकिन उनको प्रभार नहीं सौंपा गया। पिछड़ा वर्ग कल्याण विभाग के अधिकारी के रूप में गुना आए माथुर को तत्कालीन कलेक्टर विजय दत्ता ने प्रभारी संयोजक का प्रभार दिया, जिसे अब तक नहीं बदला जा सका है। वहीं विभाग के लोगों का कहना है कि प्रशासन और विभाग के अधिकारी के अनदेखी के कारण administration Ignor वन विभाग के ड्राफ्टमैन को जिला संयोजक बना दिया गया।

लंबे समय तक वे शिवपुरी में पदस्थ रहे
कुल मिलाकर ये कहा जाए कि इस विभाग में छात्रावास में रह रहे बच्चों के नाम पर जमकर भ्रष्टाचार मचा हुआ है। बताया जाता है कि उनकी सीधी भर्ती वन विभाग में क्लास थ्री के पद पर मानचित्रकार के रूप में हुई थी। इसके बाद वे प्रतिनियुक्ति पर आदिम जाति कल्याण विभाग में आ गए। लंबे समय तक वे शिवपुरी में पदस्थ रहे।

माथुर को हटाने के निर्देश दिए थे
तत्कालीन खेल मंत्री यशोधरा राजे सिंधिया ने उस समय शिवपुरी की कलेक्टर शिल्पा गुप्ता को माथुर को हटाने के निर्देश दिए थे। इसके बाद से वे गुना में पिछड़ा वर्ग के अधिकारी बनकर आ गए। इसके बाद उन्होंने तत्कालीन कलेक्टर विजय दत्ता पर प्रभाव दिखाकर आदिम जाति कल्याण विभाग के जिला संयोजक का प्रभार ले लिया। इसके बाद से दो बार आदेश आए, लेकिन प्रभार उन्ही के पास रहा।

वर्मा के नाम आया था आदेश
आदिम जाति कल्याण विभाग के आयुक्त ने 20 जनवरी 2019 में क्षेत्रीय संयोजक योगेंद्र वर्मा को प्रभारी बनाने का आदेश भी जारी किया। दूसरे आदेश में विभाग के अधिकारी को ही प्रभार देने का आदेश जारी हुआ था। इन दोनों आदेशों पर कोई काम नहीं हुआ। जबकि विभाग में दो सीनियर क्षेत्रीय संयोजक एके गुप्ता और वर्मा होने के बाद भी चार्ज दूसरे विभाग के अधिकारी को दे रखा है। अंतर ये है कि उनको बीस साल बाद मिलने वाला समयमान वेतन मिल गया, जिसे वे अपने आप को राजपत्रित अधिकारी मानने लगे हैं। जबकि दूसरे विभागों के अधिकारियों का कहना था कि समयमान वेतनमान मिलने से तृतीय श्रेणी कर्मचारी राजपत्रित अधिकारी नहीं माना जा सकता।

धोखाधड़ी का भी दर्ज हो चुका मामला
इतना ही नहीं माथुर के खिलाफ शिवपुरी कोतवाली में धोखाखड़ी का भी वर्ष 2017 में मामला दर्ज हो चुका है। उन पर आरोप है कि उन्होंने इलाहाबाद बैंक के प्रबंधक रमेश चंद से मिलकर नक्टू धाकड़ के नाम पर फर्जी किसान क्रेडिट कार्ड बनवाया। मामला सामने आया तो बैंक मैनेजर और उन पर आईपीसी की धारा 419, 420, 467, 468 और 471 के तहत मामला दर्ज हुआ। इस मामले में माथुर ने जमानत करा ली थी। इस मामले में जब प्रभारी संयोजक बीके माथुर को मोबाइल फोन लगाया तो उन्होंने फोन रिसीव नहीं किया।

सड़क हादसे के बाद आए चर्चा में
प्रभारी संयोजक माथुर देहरदा के पास सड़क हादसे में बगैर अनुमति के शिवपुरी ले गए सरकारी वाहन से गुना लौटते समय एक व्यक्ति को कुचलने के बाद चर्चा में आए। रविवार को सुबह वे गुना से निकले और देहरदा पर एक्सीडेंट कर दिया। इसमें एक व्यक्ति की घटना स्थल पर ही मौत हो गई थी। पुलिस से मिलकर बचने की कोशिश की, लेकिन भीड़ ने पुलिस के हवाले कर दिया। उनके खिलाफ मामला दर्ज है। इसके बाद वे गुना नहीं आए।

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