अगर कोई मरीज निजी अस्पताल में भर्ती और उसे ब्लड चाहिए तो १०५० रुपए लगेंगे। जबकि दो दिन पहले उनके भी ८५० रुपए लगते थे। इसमें 200 रुपए का इजाफा कर दिया है। सूत्र बताते हैं कि शहर की अधिकांश निजी अस्पतालों ब्लड एक्सचेंज की सुविधा नहीं हैं। इस वजह से वे सरकारी अस्पताल में ही ब्लड निकलवाने आते हैं। साल में करीब ५ हजार यूनिट से अधिक ब्लड एक्सचेंज किया जाता है।
ये है ब्लड की उपलब्धता
सरकारी अस्पताल के ब्लड बैंक में अभी करीब 80 यूनिट ब्लड है। इसमें सबसे ज्यादा 64 यूनिट ओ पॉजीटिव है। बी पॉजीटिव ब्लड केवल 4 यूनिट है, इसकी लंबे समय से सोर्टेज है। एबी पॉजीटिव ६ यूनिट, निगेटिव में एक भी यूनिट नहीं है। ओ निगेटिव एक यूनिट, ए पॉजीटिव दो यूनिट, बी निगेटिव एक यूनिट है।
इसके अलावा एबी निगेटिव, ए निगेटिव समूह में एक भी यूनिट ब्लड नहीं है। अस्पताल से थैलीसीमिया के मरीजों को मुफ्त ब्लड देने की व्यवस्था है। बीते एक साल में 1500 लोगों को ब्लड दिया गया है।