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एक साथ उठीं 5 अर्थियां, रो पड़ा पूरा गांव
अहमदाबाद से छह लाशें लेकर जैसे ही एंबुलेंस रविवार को बेरवास गांव पहुंची तो पूरा गांव रो पड़ा। एक एक कर जब इमरत के घर के बाहर शवों को एंबुलेंस से उतारा गया तो हर किसी की आंख से आंसू छलक पड़े। जैसे ही इमरत के कच्चे मकान के सामने से एक के बाद एक अर्थियां उठीं, वैसे ही राजू और सोनू की भाभी, बहन समेत परिवार व गांव की महिलाएं बुरी तरह दहाड़-दहाड़ कर रोती हुई दिखाई दीं। दो बच्चों को मिलाकर एक अर्थी बनाई गई थी और बाकी 4 अर्थियों पर एक-एक शव थे। एक साथ घर के आंगन से 5 अर्थियां उठीं तो उन्हें श्मशान तक ले जाने के लिए 20 कंधों की जरुरत थी लेकिन परिवार में सिर्फ केवल चार ही लोग बचे थे तो गांव के लोगों ने अर्थियों को अपना कंधा दिया। एक के पीछे एक ले जा रही अर्थी के साथ चलने वाले और उसको कंधा देने वाले लोगों की आंखों से आंसू भी निकल रहे थे। दो-तीन लोगों का कहना था कि ऐसा पहली बार हम देख रहे हैं जब एक साथ छह अर्थियों को हम श्मशान घाट ले जा रहे हों।
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मुक्तिधाम का रास्ता खराब, बदल चुकी थीं चद्दरें
मुक्तिधाम का रास्ता बारिश की वजह से इतना खराब हो गया था कि उस रास्ते से निकलना भी मुश्किल हो रहा था। तीन दिन पूर्व अहिरवार समाज के मृत राजू समेत दो अन्य की चिताएं बारिश के समय मुक्तिधाम पर चादर न होने से जलने में परेशानी हुई थी। इस परेशानी को पत्रिका ने रविवार के अंक में प्रकाशित किया, इस खबर को कलेक्टर फ्रेंक नोबल ए ने गंभीरता से लिया और तत्काल कार्रवाई कराने के निर्देश दिए। कुछ ही देर बाद वहां नई चद्दरें लेकर ग्राम पंचायत के पदाधिकारी पहुंचे और उन चद्दरों को लगवाया, इसके बाद ही उन छह लाशों का दाह संस्कार हुआ। सभी का एक ही चिता पर अंतिम संस्कार किया गया। दाह संस्कार के लिए इस बार सूखी लकड़ी का इंतजाम किया गया था।दाह संस्कार के समय राजनेताओं के अलावा समाज के लोगों के अलावा पुलिस और प्रशासनिक अफसर भी मौजूद थे।
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इनका हुआ अंतिम संस्कार
मां रामप्यारी,बेटा सोनू, राजू की पत्नी सीमा, सोनू की पत्नी सरजूबाई, सोनू का दो साल का बेटा आकाश,राजू का सात साल का बेटा नीतेश का रविवार को अंतिम संस्कार किया गया। बता दें कि इससे पहले शुक्रवार को राजू, उसकी दस साल की बेटी वैशाली और तीन साल की दूसरी बेटी पायल का अंतिम संस्कार किया गया था। हृदय विदारक घटना के बाद से पूरे गांव में तीन दिन से मातम पसरा हुआ है।
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