scriptडीएपी खाद की कमी के बीच जिले में अभी से खाद की कालाबाजारी शुरू | Amidst the lack of DAP, black marketing of fertilizers started in the | Patrika News

डीएपी खाद की कमी के बीच जिले में अभी से खाद की कालाबाजारी शुरू

locationगुनाPublished: Jun 23, 2022 01:24:40 am

Submitted by:

Narendra Kushwah

– शासन द्वारा निर्धारित कीमत से अधिक में बेच रहे दुकानदार- कई लोग अधिक मात्रा में खाद खरीदकर स्टॉक करने के बाद मुंहमांगे दाम में बेच रहे

डीएपी खाद की कमी के बीच जिले में अभी से खाद की कालाबाजारी शुरू

डीएपी खाद की कमी के बीच जिले में अभी से खाद की कालाबाजारी शुरू

गुना. मानसून की पहली ही बारिश ने किसानों को खुश कर दिया है। जिसके बाद वह खरीफ फसल की बोवनी की तैयारियों में जुट गया है। लेकिन हमेशा की तरह इस बार भी उसे उर्वरक और बीज के लिए परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। सबसे ज्यादा परेशानी सोयाबीन के बीज के साथ-साथ उर्वरक को लेने में आ रही है। प्रशासन सहकारी समिति और निजी दुकानों पर पर्याप्त स्टॉक होने की बात कह रहा है लेकिन जमीनी हकीकत कुछ और है। सोयाबीन के बीज का टोटा तो सभी जगह बना हुआ है। इसकी वजह पिछले तीन सालों में बहुत कम उत्पादन होना है। वहीं उर्वरक जिन विक्रेताओं को सप्लाई किया गया है, वे स्वयं भी निर्धारित कीमत से अधिक में किसानों को खाद बेच रहे हैं। वहीं कुछ ऐेसे बड़े किसान भी हैं जो इन विक्रेताओं से बड़ी मात्रा में खरीदकर कालाबाजारी कर रहे हैं। शासन ने जिन उर्वकरों की रेट निर्धारित की है उससे कहीं अधिक राशि किसानों से वसूली जा रही है।

किसान की यह है मजबूरी
स्थानीय ग्रामीणों ने बताया कि यदि वह किसी दुकानदार की शिकायत करता है कि वह सरकारी रेट से अधिक कीमत पर उर्वरक बेच रहा है तो उस पर की गई कार्रवाई का असर भी किसान पर ही पड़ता है। क्योंकि संबंधित दुकानदार फिर उसे उतनी मात्रा में खाद नहीं देता। ऐसे में उसे 50 से 80 किमी का सफर तय कर जिला मुख्यालय पर आना पड़ता है। इसमें न सिर्फ उसका अतिरिक्त समय खर्च होता है बल्कि उसे दुकान पर लंबी लाइन में भी लगना पड़ता है। यहां आने के बाद एक और परेशानी खाद को ले जाने की आती है। एक बार में 5 से 8 कट्टे ले जाने के लिए यदि ट्रेक्टर ट्रॉली लाते हंै तो खाद बहुत महंगा पड़ता है। वहीं कुछ किसानों के पास तो यह साधन भी नहीं है, ऐसे में वह तो ऑटो किराए से ले जाते हैं। कुल मिलाकर जिला मुख्यालय से खाद ले जाना किसान को बहुत महंगा साबित होता है।

यह बोले जिम्मेदार
शहर हो ग्रामीण अंचल कहीं भी यदि कोई विक्रेता किसान को सरकारी रेट से अधिक दाम पर उर्वरक बेच रहा है तो किसान इसकी लिखित रूप में शिकायत क्षेत्र के कृषि अधिकारी से करें। तत्काल संबंधित के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी। किसान जो उर्वरक खरीदें उसका पक्का बिल जरूर लें ताकि किसी भी तरह की गड़बड़ी मिलने पर संबंधित दुकान की पहचान कर उसके खिलाफ नियमानुसार कार्रवाई की जा सके।
राजवीर सिंह तोमर, सहायक संचालक

यह है उर्वरक की सरकारी रेट
डीएपी 1350 रुपए (प्रति बोरी 50 किग्रा)
यूरिया 267.50 रुपए
एसएसपी 425 रुपए (पाउडर वाला)
एसएसपी 465 रुपए (दानेदार )
बोरोनेटेड सिंगल सुपरफास्फेट (पाउडर वाला) 456.50
बोरोनेटेड सिंगल सुपरफास्फेट (दानेदार ) 498.50
– जिले में शेष स्टॉक
उवर्रक कुल मांग जून माह में मांग सहकारी निजी योग
यूरिया 21756 5000 6517 3338 9855
डीएपी 11447 5000 1463 783 2246
एसएसपी 613 5000 501 3478 3979
एनपीके 161 150 148 103 251
एमओपी 161 50 09 83 92
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योग 45874 15250 8638 7786 16424
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