गौर करने वाली बात है कि सरकार ऐलोपैथिक चिकित्सा पर विभिन्न योजनाओं के माध्यम से हर साल करोड़ों रुपए खर्च कर रही है लेकिन आयुष चिकित्सा को बढ़ाने की ओर कोई ध्यान नहीं दे रहा है। यही कारण है कि जिला मुख्यालय पर आयुष अस्पताल को संचालित करने खुद का भवन तक नहीं है। यही कारण है कि ऐलोपैथिक जिला अस्पताल के तीन कमरों में आयुष विंग चल रही है। यह जगह आयुष अस्पताल के लिए पर्याप्त नहीं है।
9 साल बाद भी नहीं मिल सका खुद का भवन
आयुष चिकित्सा किस हद तक उपेक्षा का शिकार है इसे इस बात से समझा जा सकता है कि आयुष अस्पताल वर्ष 2010 से ऐलोपैथिक जिला अस्पताल भवन के तीन कक्षों में चल रहा है। यह आयुष विंग की विभिन्न यूनिटों को संचालित करने पर्याप्त जगह नहीं है। गौर करने वाली बात है कि शासन ने आयुष अस्पताल को अलग से संचालित करने के लिए जमीन खरीदने की परमिशन दे दी है लेकिन स्थानीय प्रशासन अब तक जगह चिन्हित नहीं कर सका है।
पंचकर्म चिकित्सा के लिए ट्रेंड स्टाफ नहीं
आयुष चिकित्सा को अपडेट करने के प्रति शासन व प्रशासन कतई गंभीर नहीं है। इसे बात से समझा जा सकता है कि जिला मुख्यालय पर संचालित आयुष विंग में सिर्फ ओपीडी संचालित है जबकि पंचकर्म चिकित्सा के लिए कोई इंतजाम नहीं हैं। न तो ट्रेंड डॉक्टर है और न ही स्टाफ। वर्तमान में यहां सिर्फ एक महिला चिकित्स व एक पुरुष डॉक्टर हैं। जबकि पैरामेडिकल स्टाफ में पांच पदों में से तीन पद खाली हैं। ऐसे में पद की पूर्ति करने अंचल के आयुष औषधालय से कर्मचारियों को अटैच किया गया है।
आयुष में इन बीमारियों का इलाज कारगर
आयुष चिकित्सक के मुताबिक जिन बीमारियों का इलाज ऐलोपैथिक पद्धति से संभव है, उन्हीं बीमारियों का इलाज आयुर्वेद में भी कारगर है। जैसे उच्च रक्त चाप, हृदय रोग की समस्याएं, मधुमेह, जोड़ों का दर्द, गुर्दे का संक्रमण, कैंसर, क्षयरोग, चर्मरोग, स्त्री रेाग, कमर का दर्द, पथरी का इलाज संभव है।
…तो जिला अस्पताल का बोझ हो सकता है कम
सामान्यता ऐलोपैथिक जिला अस्पताल पर मरीजों का दबाव काफी अधिक है। जबकि ओपीडी व आईपीडी की तुलना में डॉक्टर व स्टाफ की बेहद कमी है। ऐसे में हर दि सामान्य बीमारियों के मरीज भी यहां आते हैं, जिससे डॉक्टर्स पर काफी दबाव बढ़ जाता है और वे गंभीर मरीजों को उतना समय नहीं दे पाते हैं। ऐसे स्थिति में प्रशासन आयुर्वेद चिकित्सा को प्रोत्साहित कर बढ़ावा दे तो निश्चित रूप से ऐलोपैथिक डॉक्टर्स पर मरीजों का दबाव कम होगा।
यह बोले जिम्मेदार
आयुष अस्पताल पिछले काफी समय से ऐलोपैथिक जिला अस्पताल भवन में चल रहा है। हालांकि आयुष विंग के लिए अलग से भवन बनाने की परमिशन तो मिल गई है लेकिन अभी तक जमीन चिन्हित नहीं हुई है। हमारे यहां ट्रेंड स्टाफ की कमी के चलते पंचकर्म की सुविधा नहीं है।
डॉ अंकेश अग्रवाल, विशेषज्ञ आयुष चिकित्सक