इन क्षेत्रों के लोग सड़क और नाली की समस्या से जूझ रहे
सकतपुर रोड, ईदगाह बाड़ी रोड,नजूल कॉलोनी, नई सड़क, बोहरा चौराहा, आसमानी माता मंदिर रोड, लालाजी का बाड़ा, भार्गव कॉलोनी, माथुर कालोनी, कर्नलगंज रोड, विवेक कालोनी, खैजरा रोड, कुश्मौदा, कृष्णानी कालोनी, विंध्याचल कालोनी, वंदना कॉलोनी, भगत सिंह, वर्धमान कालोनी, आरोन पेट्रोल पंप से प्रेमी मोबाइल शॉप तक के इलाके में सड़क और जल निकासी की व्यवस्था बहुत खराब है। जिसके कारण कॉलोनी के कई मार्गों में दूधिए, सिलेंडर पहुंचाने वाले तथा हाथ ठेले पर सब्ज, फल सहित अन्य सामग्री बेचने वाले जा ही नहीं पाते।
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इन कामों में की जा सकती है विधायक निधि खर्च
कई ऐसी जरूरी सुविधाएं हैं जो बजट के अभाव में संबंधित विभाग जनता को उपलब्ध नहंीं करवा पा रहे हैं। यदि स्वास्थ्य के क्षेत्र में देखें तो जिला अस्पताल में मरीज और अटैंडर कई सुविधाएं न होने से काफी समय से परेशान हैं। सबसे पहली समस्या यहां शुद्ध पेयजल का अभाव है। जो फिल्टर प्लांट लगा था वह बीते कई माह से खराब है। परिसर में जिस बोर से पानी आ रहा है उसे प्रबंधन पीने योग्य नहीं मानता लेकिन वर्तमान में मजबूरीवश इसी पानी को मरीज व अटैंडर पी रहे हैं। पेयजल सुविधा के नाम पर मात्र दो टंकियों में दो ही नल हैं। ऐसे में मरीजों को एक गिलाव पानी के लिए भी इंतजार करना पड़ता है। बर्तन धोने की कोई व्यवस्था नहीं है।
अस्पताल का पूरा परिसर ऊबड़ खाबड़ हालत में है। जहां मरीजों को स्टै्रचर से ले जाने में बहुत ज्यादा परेशानी होती है। सफाई कर्मी ठीक से झाडू नहीं लगा पाते। कई जगह जल भराव की स्थिति निर्मित हो जाती है। यह समस्या बीते पांच सालों से है। जिसका प्रस्ताव बजट के अभाव में अटका हुआ है।
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जिला अस्पताल में भर्ती मरीज व अटैंडरों की असली परेशानी सर्दी के मौसम में शुरू होती है। सबसे पहले तो सभी मरीजों को कंबल नहीं मिल पाते हैं। स्टाफ का कहना होता है कि उन्हें पलंग के हिसाब से कंंबल और बैड मिलते हैं। जबकि अस्पताल में हमेशा क्षमता से अधिक मरीज भर्ती रहते हैं। ऐसे में उन्हें किराए के कपड़ों का इस्तेमाल करना पड़ता है। इस मौसम में असली परीक्षा अटैंडर की होत है, क्योंकि उसे वार्ड में सोने न तो जगह मिलती है और न ही कपड़े। सबसे ज्यादा चिंता की बात तो यह है कि पूरे अस्पताल परिसर में अटैंडरों को ठहरने सर्दी से बचने कोई इंतजाम नहीं हैं। बाजार से रजाई, कंबल किराए पर लाकर वे खुले में ही रात गुजारने को मजबूर होते हैं। इसके अलावा मरीजों को बॉटल लगाने स्टैंड की हमेशा कमी देखी जाती है। ऐसे में कई बार स्टाफ खिड़की से तक बॉटल बांध देती हैं।
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