इतना ही नहीं विभाग किसानों को संतोषजनक जबाव भी नहीं दे पा रहा है। नानाखेड़ी कृषि उपज मंडी में सोमवार को दर्र्जनों किसान अपनी उपज लेकर मंडी में पहुंचे थे। उनको भोपाल से खरीदी के संबंध में मैसेज आया था, लेकिन जब किसान अपनी उपज लेकर मंडी पहुंचे तो उनकी फसल खरीदने कोई नहीं पहुंचा।
मंडी स्थित वेयर हाउस पर सर्वेयरों की एक टोली पहुंची, जिन्होंने सभी किसानों के सैम्पल फेल कर दिए और उनकी उपज को खरीदने से इन्कार दिया। इस संबंध में किसानों ने कलेक्ट्रेट पहुंचकर अपनी शिकायत भी दर्ज कराई है, इसके बाद भी किसान परेशान होते रहे।
मैसेज पहुंचा, लेकिन खरीद केंद्र तैयार नहीं….
किसानों के पास समर्थन मूल्य पर मूंग, उड़द, रामतिल और मूंगफली खरीदने के संबंध में मैसेज आ रहे हैं। माधव सिंह राजपूत नाम के किसान के पास 18 क्विंटल उड़द लाने के लिए मैसेज आया है।
इसी तरह मिन्ख्याई गांव के सुरेंद्र रघुवंशी भारतेंद्र रघुवंशी और शैलेंद्र रघुवंशी के पास भी संदेश आया, जिसके बाद वह अपनी उपज लेकर मंडी पहुंचे, लेकिन उनकी उपज को खरीदने के लिए कोई खरीददार नहीं आया है।
इस वजह से किसानों को परेशानी से जूझना पड़ा। विभाग द्वारा समर्थन मूल्य पर 25 केंद्रों पर खरीदी की जाना थी, लेकिन विभाग अब तक खरीद चालू नहीं कर सका, इससे लोगों को दिक्कत हो रही है।
मैसेज में दी जा रही क्विंटल की जानकारी….
किसानों ने बताया कि उन्होंने 30 से 50 बीघा में उड़द की फसल करने का पंजीयन कराया है, लेकिन उनको मैसेज में 18 क्विंटल उड़द या इससे कम एवं ज्यादा उड़द लाने का संदेश आया है। किसानों का कहना है कि हमें फसल अभी बेचना है, लेकिन मैसेज में पूरी फसल बेचने के संबंध में कोई जानकारी नहीं आई है।
ऐसी स्थिति में सभी किसान भ्रमित हो रहे हैं कि उनको अभी कितनी उपज बेचना है। अगर अभी आधी उपज बेचना है तो शेष उपज को कब तक बेचना होगा, इस संबंध में कोई भी जानकारी नहीं दी गई है। इस वजह से काफी दिक्कत हो रही है, लेकिन विभाग के अधिकारी किसानों को कोई जानकारी नहीं दे रहे हैं।
दिनभर भटके किसान नहीं सुनते अफसर….
किसानों ने बताया, वह उपज लेकर दिनभर परेशान होते रहे, लेकिन खाद्य विभाग के अधिकारी उनकी बात नहीं सुनते हैं। उन्होंने बताया कि किराया का वाहन लेकर उपज लाए हैं, लेकिन पहले दिन उपज की न तो तौल हो सकी और ना ही नमूना पास किया गया।
इस संबंध में विभाग के अधिकारियों से मिलना चाहा तो न तो मैडम ने कोई सुनवाई की और ना ही कनिष्ट आपूर्ति अधिकारी पीड़ा सुन रहे। उधर, खरीद केंद्रों पर भी विभाग ने कोई सूचना चस्पा नहीं की कि अगर कोई दिक्कत हो तो किसे अपनी पीड़ा बताएं।
खरीद केंद्रों पर बारदाना का भी इंतजाम नहीं है। ना ही उपार्जन केंद्रों पर हम्माल और दूसरे जिम्मेदार। यहां तक की समिति प्रबंधक तक मौके पर नहीं मिल रहे हैं। ऐसे में किसान अपनी पीड़ा किसे बताएं, कोई उनकी समस्या सुनने वाला नहीं है।