ऐसे ही कुशमौदा के बेची गई एक जमीन के मामले में शिकायत के बाद हुई जांच में प्रशासन की टीम ने उक्त जमीन को सरकारी माना था। खास बात ये है कि रमेश राठौर ने आधा सैकड़ा से अधिक जिनको प्लॉट बेचे थे, उनको अभी तक न तो प्लॉट मिले और न ही कब्जा। रमेश राठौर के साथ विधायक की पत्नी की भी एक जमीन के मामले में पार्टनरी होने का मामला प्रकाश में आया है।
ये था मामला भाजपा नेता और कॉलोनाइजर रमेश राठौर ने 1991-92 पूर्व ने कुशमौदा स्थित सर्वे न बर 254/2 रकबा न बर ०.617 हेक्टेयर पर प्लाटिंग करना थी, लेकिन सर्वे न बर 252/2 रकबा न बर ०.631 का विक्रय कर दिया गया, जबकि उक्त भूमि डायवर्टेड नहीं थी। रितु विहार कॉलोनी के नाम से यहां की गई प्लाटिंग सड़क और पार्क के लिए जो भूमि थी, वह भी बेच दी थी। इसके साथ ही एक प्लॉट को दो जगह भी बेच दिए थे।
आनंद राठौर ने की थी शिकायत: समाजसेवी आनंद राठौर ने कुशमौदा के पास एक भूमि को दो जगह अलग-अलग बेचे जाने आदि को लेकर एक शिकायत कलेक्टर से की थी। जिसके तहत उन्होंने रमेश चन्द्र राठौर समेत 58 लोगों को पार्टी बनाया था। इसमें वे लोग शामिल थे जिन्हें रमेश चन्द्र राठौर ने इन लोगों को बेच दी थी लेकिन उनको कब्जा नहीं मिला था। इनमें मुख्य रूप से विजय कुमार, भूपेन्द्र, कविता, कमलेश, हरगोविन्द, पूनम, सुशीला, तरुण गर्ग, शांतिलाल, गुलशन, कमलेश कुमार, आशीष, प्रेमसिंह आदि शामिल थे। समाजसेवी राठौर की शिकायत थी कि रमेश राठौर आदि ने जमीन से अधिक की रजिस्ट्री कर दी है, तीस वर्ष से अधिक पूर्व बेचे गए प्लॉटों की जांच करने गई टीम को रजिस्ट्री तो मिली थी लेकिन कब्जा किसी भी प्लॉट कर्ता का नहीं मिला था। उन्होंने 57 प्लॉट कर्ताओं के नामांतरण निरस्त करने की भी मांग की थी।
इनका कहना है मैंने व विधायक की पत्नी ने तो सरस्वती स्कूल वालों को जमीन बेच दी थी। वह जमीन हमने और विधायक जी की पत्नी ने खरीदी थी। जिस जमीन पर मेरे खिलाफ मामला दर्ज बताया जा रहा है, वह जमीन मेरे नाम से नहीं थी, मेरे मामा मनीराम राठौर और सरवतीबाई के नाम से है।
रमेश राठौर कॉलोनाइजर ,भाजपा नेता मेरी पत्नी ने कहीं जमीन नहीं बेची। मैं अभी मीटिंग में हूं, फिर आपसे बात करता हूं। गोपीलाल जाटव विधायक