ये कैसा अस्पताल : यहां न तो डॉक्टर मिलते और न ही इलाज
-महीनों से पैथोलॉजी कक्ष पर लगा ताला, सरकारी बोर ने दम तोड़ा, निजी ट्यूबवैल में भी कम हुआ पानी
अघोषित बिजली कटौती के बीच नहीं है इमरजेंसी की सुविधा
गुना
Published: May 12, 2022 10:05:38 am
गुना/फतेहगढ़ . पंचायत मंत्री के विधानसभा क्षेत्र में स्वास्थ्य सेवाएं बीमार हैं। चिंता की बात तो यह है कि अस्पताल में पर्याप्त स्टाफ होने के बावजूद मरीजों को प्राथमिक स्तर तक का इलाज मुहैया नहीं हो पा रहा है। मजबूरीवश उन्हें अप्रशिक्षित डॉक्टरों के पास जाना पड़ रहा है। ऐसे में सबसे ज्यादा परेशानी आर्थिक रूप से कमजोर लोगों को उठानी पड़ रही हैं। हम बात कर रहे हैं फतेहगढ़ के प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र की। जहां शासन ने एक नहीं बल्कि दो डॉक्टर की पदस्थापना की है। इसके बावजूद ग्रामीण मरीजों को इलाज न मिल पाना स्वाथ्य सेवाओं पर गंभीर सवाल खड़े कर रहा है। खास बात तो ये है कि पंचायत मंंत्री महेन्द्र सिहं सिसौदिया के गांव डोवरा के मरीज भी इस प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र पर इलाज कराने आते हैं।
जानकारी के मुताबिक बमोरी जिले की फतेहगढ़ ऐसी पंचायत है, जिसके आसपास करीब आधा सैकड़ा गांव लगे हुए हैंं। जो स्वास्थ्य सुविधाओं के लिए यहां के प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र पर ही निर्भर हैं। लेकिन वे जब यहां आते हैं तो उन्हें निराशा ही हाथ लगती है। क्योंकि ओपीडी समय में डॉक्टर मिलते ही नहीं है। आवास के नजदीक घूम रहे कुछ लोगों ने बताया कि फतेहगढ़ के अस्पताल में डा. केपी किरार और डा. बबलू धाकड़ पदस्थ हैं। लेकिन वे लोग अस्पताल में कम अपने सरकारी आवास में मरीजों को सौ रुपए फीस लेकर देखते हैं। जबकि सरकार उन्हें अस्पताल में मरीजों को निशुल्क इलाज के लिए भारी भरकम वेतन दे रही है। डॉक्टर्स के इस तरह के व्यवहार को देखते हुए ग्रामीण अप्रशिक्षित डॉक्टर जिन्हें गांव में झोलाछाप कहते हैं, के पास जाने को विवश हैं।
अस्पताल में यह भी अव्यवस्थाएं
पेयजल : फतेहगढ़ अस्पताल में पेयजल संकट गंभीर हो चुका है। यहां जो सरकारी बोर लगा था, वह भू-जल स्तर गिरने से काफी समय पहले ही दम तोड़ चुका है। ऐसे में प्रबंधन ने एक निजी बोर से कनेक्शन लिया लेकिन उसमें भी पानी कम हो गया है। ऐसे में अस्पताल के मरीजों को पीने का पानी तक नहीं मिल पा रहा है।
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फतेहगढ़ अस्पताल क्षेत्र में यह गांव आते हैं
फतेहगढ़, भीड़रा, कुड़का, बनियानी, कपासी विष्णुपुरा, चकलौड़ा, राजपुरा, पड़ोंन, सिलावटी, ढमरपूरा, जेतपुरा, कोहन, बरसाती, लालोनी, मंगरोड़ा, अजरोडा, चक, रामनगर, आनापुर, हमीरपुर, झिरी, डोवरा, डिंगडोली, बावड़ीखेड़ा, बरसाती, चकझीरी, भगवानपुरा, मामला डूमावन आदि।
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बिजली : गर्मी बढऩे के साथ ग्रामीण क्षेत्र में अघोषित बिजली कटौती शुरू हो गई। जिसका असर अस्पताल की स्वास्थ्य सेवाओं व व्यवस्थाओं पर पड़ रहा है। बिजली जाने की स्थिति में इमरजेंसी के लिए जनरेटर नहीं है। ऐसे में भर्ती मरीजों को गर्मी का सामना करना पड़ रहा है। सबसे ज्यादा कष्टदायक स्थिति प्रसूतिओं की है। उनके वार्ड में जो एक कूलर लगा है लेकिन उसमें पानी नहीं भरा जाता है। वहीं अस्पताल के विभिन्न कक्षों में लगे 5 पंखों में से मात्र एक ही चालू है।
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पैथोलॉजी : अस्पताल में आने वाले मरीजों की जांच करने शासन ने यहां पैथोलॉजी तो खोल दी। लेकिन प्रबंधन इसका संचालन ठीक से नहीं कर पा रहा है। यही कारण है कि लैब पर तीन महीने से ताला लगा है। जो मरीज आते हैं उन्हें सिर्फ लक्षण के आधार पर ही दवा देकर चलता कर दिया जाता है। जांच नहीं कराई जाती।
ये बोले ग्रामीण
-अस्पताल के डिलीवरी वार्ड में अधिकांश पंखे बंद पड़े हैं। प्रसूति वार्ड में कई बार कुत्ते, सूअर आदि जानवर भी घूमते नजर आते हैं। हादसे को रोकने के प्रयास करना चाहिए।
राम ओझा, ग्रामीण
-सिस्टम की इस घोर लापरवाही से फतेहगढ़ में लगभग 2 दर्जन से अधिक झोलाछाप डॉक्टर सक्रिय बने हुए हैं। जो ग्रामीण मरीजों से मनमानी फीस वसूल रहे हैं। इन प्रशिक्षित डॉक्टर्स पर स्वास्थ्य विभाग को कड़ी कार्रवाई करना चाहिए।
अजय जाटव, ग्रामीण
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इनका कहना है
सरकारी बोर का पानी नीचे चला गया है इसलिए प्राइवेट बोर से कनेक्शन लेकर व्यवस्था की है। लेकिन उसमें भी पानी कम हो गया है इसलिए परेशानी आ रही है। बिजली जाने पर इमरजेंसी के लिए इन्वर्टर तो है। जहां तक डॉक्टर्स के अलावा अन्य सुविधाओं का सवाल है तो उन्हें दूर करने का प्रयास करेेंगे।
डॉ शैलेंद्र गोस्वामी, बीएमओ बमोरी

ये कैसा अस्पताल : यहां न तो डॉक्टर मिलते और न ही इलाज
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