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पीएम आवास योजना में चल रही है गड़बड़ी, सिंधिया तक पहुंचा मामला

locationगुनाPublished: Dec 03, 2022 06:33:08 pm

Submitted by:

Manish Gite

प्रधानमंत्री आवास योजना में गड़बड़झाला: छह साल से लोग हो रहे परेशान, किस्त के लिए भटक रहे 4338 हितग्राही…>

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गुना। मध्यप्रदेश में प्रधानमंत्री आवास योजना में गड़बड़ी के आरोप लग रहे हैं। पीएम आवास योजना के नाम पर कई अधिकारियों और पार्षदों ने इसे कमाई का जरिया बना लिया है। साढ़े चार हजार के करीब हितग्राही छह साल से भटक रहे हैं, लेकिन उन्हें अब तक एक भी किस्त नहीं मिली है। भाजपा ने केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया और कलेक्टर को पत्र लिखा है।

प्रधानमंत्री आवास योजना के नाम पर कई अधिकारी समेत कुछ पार्षदों के लिए यह कमाई का जरिया बन गया है। हितग्राही से कुटीर दिलाने के एवज में हजारों रुपए ले रहे हैं। योजना में हुई गड़बड़ी में किस्त और कुटीर के आवंटनों में बड़े स्तर पर गड़बड़झाला हुआ है। योजना की स्वीकृत से लेकर अभी तक की जाने वाली कागजी कार्रवाई की जांच हो जाए तो लाखों रुपए का घोटाला उजागर हो सकता है।

 

 

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दरअसल, बीते छह साल में ऐसे 4378 हितग्राहियों के नाम सामने आए हैं जिनको पात्र होने के बाद अभी तक एक भी किस्त नहीं मिली है। शहर के जानकार कह रहे हैं कि योजना में पात्र हितग्राहियों को किस्त और कुटीर न मिलने का प्रभाव गुना में अगले वर्ष होने वाले विधानसभा चुनाव में भाजपा पर पड़ सकता है।

 

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FIR कराई जाए

भाजपा महिला मोर्चा की प्रदेश उपाध्यक्ष वंदना मांडरे ने केन्द्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया, कलेक्टर को एक पत्र लिखा है जिसमें कहा है कि प्रधानमंत्री आवास योजना में हितग्राहियों को कुटीर स्वीकृत होने के बाद भी किश्त के तहत भुगतान न करना धोखाधड़ी हैं। इसमें कम्प्यूटर ऑपरेटर से प्रभारी इंजीनियर दोषी हैं। मांढरे ने पत्र में इस पूरे मामले की जांच कराकर दोषी अधिकारी व कर्मियों के खिलाफ एफआइआर कराए जाने का आग्रह किया है।

 

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2016 से नहीं डाली गई किस्त

सूत्र बताते हैं कि इस योजना में वर्ष 2016 से अभी तक शहर के सभी वार्डों के लगभग 4338 हितग्राहियों को तीन किस्त खातों में नहीं डाली गई है। राशि न डाले जाने को लेकर एडीएम आदित्य सिंह ने योजना के प्रभारी उपयंत्री सुनील जैन को नोटिस जारी किया है। सीएमओ के छुट्टी पर चले जाने के बाद हितग्राहियों को किए गए किस्त के भुगतान और कार्यों के रेकॉर्ड भी तलब किए हैं।

 

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नोटिस दिए जाने की तैयारी

सूत्रों का कहना है कि अपर कलेक्टर जहां एक और इस पूरे मामले को गंभीरता से लेकर जांच कर रहे हैं वहीं उन्होंने सीएमओ, उपयंत्री नितिन चंदेल, गौरव ठाकुर और सुनील जैन के खिलाफ आरोप पत्र जारी हो सकते हैं। खबर है कि दो-तीन लोगों के खिलाफ इस पूरे मामले में एफआइआर हो सकती है। एलआइजी के 336 और एमआइजी के 120 आवास आज भी अपूर्ण, पहली जांच में भी निकली थी गड़बड़ी

 

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जांच में 12 आवास आए थे सवालों के घेरे में

कलेक्टर ने फरवरी 2022 में इन आवासों की जांच कराई, उसमें 12 आवास सवालों के घेरे में है। एक हितग्राही को पहली किस्त जारी हुई इसके बाद उसने पूरा मकान ही बना डाला। उसे दूसरी और तीसरी किस्त ही जारी नहीं हुई। अब सवाल खड़ा होता है कि संबंधित व्यक्ति योजना के तहत पात्र था या नहीं। अब उसने खुद के पास से राशि खर्च कर आवास बना डाला तो पहली किश्त क्यों ली। पांच हितग्राहियों का परिवार किराए के मकान में रह रहा है। इसी तरह दो आवास की रुकी किस्त जांच के बाद जारी की गई। यहीं इसी तरह अन्य आवासों के हाल हैं।

 

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ये हुई थी लापरवाही

समय पर जियो टैगिंग नहीं: कंपनी को पहली किस्त की राशि खर्च होने के बावजूद जियो टैगिंग करना चाहिए। करीब पांच से छह माह से कई हितग्राही को जियो टैगिंग न होने से दूसरी किस्त नहीं मिली।

कंपनी को नोटिस: इस मामले में संबंधित कंपनी को नगरपालिका ने नोटिस जारी किया, ताकि समय पर काम हो।

इंजीनियर ने पोर्टल पर नहीं की सार्वजनिक जानकारी: योजना के तहत प्रत्येक डीपीआर को तुरंत पोर्टल पर चढ़ाया जाना चाहिए। पूर्व में कार्यरत गौरव ठाकुर ने यह कार्य नहीं किया, इस वजह से पात्र हितग्राही की जानकारी सामने नहीं आती थी। इसका फायदा उठाकर पात्र हितग्राही के नाम की सूची लेकर उसने संपर्क कर राशि डालने के नाम पर पैसा वसूलते हैं इसमें कई पूर्व पार्षद शामिल हैं।

नोटिस जारी: डीपीआर पोर्टल पर। सूची को सार्वजनिक न करने के मामले में इंजीनियर को नोटिस जारी कर जवाब मांगा था। वहीं इनके कार्यकाल की जांच भी कराई गई थी, उसमें भी वे दोषी निकले थे।

प्रधानमंत्री की महत्वाकांक्षा आवास योजना (pradhan mantri awas yojana) वर्ष 2016 में गुना शहर के आवासहीनों के लिए स्वीकृत हुई थी। मार्च 2022 में इस मामले की शिकायत कलेक्टर को हुई थी। उन्होंने इस एक दस सदस्यीय टीम से चिह्नित किए 144 आवासों की जांच कराई तो उसमें यह बात सामने आई कि एक आवास तो सिर्फ पहली किस्त में ही पूरा बनकर तैयार हो गया था, उसे दूसरी और तीसरी किस्त ही जारी नहीं हुई। पांच आवास ऐसे थे जिनकी छह माह से जियो टैगिंग न होने से दूसरी किस्त नहीं मिली। इसके अलावा कई आवासों की किस्त अटकी थी। सभी 1800 आवास की जांच हो तो इस तरह की गड़बड़ी और सामने आ सकती थीं। स्वीकृत के बाद इसमें से 1700 के लिए ही पहली, दूसरी और तीसरी किस्त जारी हुई थी। इसमें सौ हितग्राहियों की स्थिति साफ नहीं हो पाई थी, उनको पहली भी किस्त नसीब नहीं हो पाई थी।

 

https://youtu.be/PZFjhjmKDHw
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