हैंडओवर न होने से यह आ रही परेशानी
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वर्तमान में 100 साल पुराने भवन में चल रहा वृद्धाश्रम
पिछले कई सालों से वृद्धाश्रम शहर के नानाखेड़ी स्थित एक 100 साल पुराने भवन में संचालित है। जहां वरिष्ठ नागरिकों के लिए सुरक्षा का अभाव है। साथ ही उन्हें जरूरी कई सुविधाएं यहां उपलब्ध नहीं हैं। वे जिन कमरों में रहते हैं उनकी हालत बेहद खराब है। न तो पर्याप्त लाइट की सुविधा है और न ही नहाने की उचित व्यवस्था। पानी के इंतजाम भी ठीक नहीं हैं। शहर से दूर होने के कारण समय पर चिकित्सा सुविधा भी नहीं मिल पाती। पहुंच मार्ग की हालत बेहद खराब है।
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अधूरे इंतजामों के बीच अस्पताल में छोटे से कमरे में हो रहा संचालित
वर्तमान समय में जिला दिव्यांग एवं पुनर्वास केंद्र का संचालन जिला अस्पताल परिसर में स्थित एक छोटे से कमरे में हो रहा है। जहां पर्याप्त स्टाफ के साथ-साथ आधुनिक संसाधनों की भी कमी है। इसकी एक वजह बजट की कमी भी बताई जा रही है। जिसके कारण दिव्यांगों को शासन द्वारा संचालित शासकीय योजनाओं का लाभ ठीक तरह से नहीं मिल पा रहा है। गौर करने वाली बात है कि भले ही जिला दिव्यांग पुनर्वास केंद्र भारत सरकार के सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्रालय से संबद्ध है लेकिन वर्तमान में इसका संचालन रेडक्रास सोसायटी द्वारा किया जा रहा है। वहीं कर्मचारियों का मानदेय सामाजिक न्याय विभाग की निराश्रित निधि के माध्यम से किया जा रहा है।
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वर्तमान समय में जिला दिव्यांग एवं पुनर्वास केंद्र का संचालन जिला अस्पताल परिसर में स्थित एक छोटे से कमरे में हो रहा है। जहां पर्याप्त स्टाफ के साथ-साथ आधुनिक संसाधनों की भी कमी है। इसकी एक वजह बजट की कमी भी बताई जा रही है। जिसके कारण दिव्यांगों को शासन द्वारा संचालित शासकीय योजनाओं का लाभ ठीक तरह से नहीं मिल पा रहा है। गौर करने वाली बात है कि भले ही जिला दिव्यांग पुनर्वास केंद्र भारत सरकार के सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्रालय से संबद्ध है लेकिन वर्तमान में इसका संचालन रेडक्रास सोसायटी द्वारा किया जा रहा है। वहीं कर्मचारियों का मानदेय सामाजिक न्याय विभाग की निराश्रित निधि के माध्यम से किया जा रहा है।
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थाने के पुराने भवन में स्टाफ को बैठने तक जगह नहीं
जिले का कैंट थाना, सबसे पुराने और बड़े थानों में से एक है। जहां स्टाफ की संख्या 100 के करीब है लेकिन पुराने भवन में इतनी जगह नहीं है कि आधा स्टाफ भी एक साथ बैठ सके। वहीं दो से अधिक फरियादी एक साथ रिपोर्ट लिखाने आ जाएं तो उन्हें खड़े होने तक के लिए पर्याप्त जगह नहीं है। अक्सर पुलिस फरियादी की समस्या भवन के बाहर पेड़ के नीचे सुनते नजर आती है। कुल मिलाकर पुराने भवन में पुलिस को कई तरह की व्यवहारिक और प्रशासनिक समस्याओं से जूझना पड़ रहा है।
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फैक्ट फाइल
वृद्धाश्रम भवन की कुल स्वीकृत लागत : 319 लाख
जिला दिव्यांग एवं पुनर्वास केंद्र की स्वीकृत लागत : 299.99 लाख
कैंट थाने की कुल स्वीकृत लागत: 76 लाख
जिले का कैंट थाना, सबसे पुराने और बड़े थानों में से एक है। जहां स्टाफ की संख्या 100 के करीब है लेकिन पुराने भवन में इतनी जगह नहीं है कि आधा स्टाफ भी एक साथ बैठ सके। वहीं दो से अधिक फरियादी एक साथ रिपोर्ट लिखाने आ जाएं तो उन्हें खड़े होने तक के लिए पर्याप्त जगह नहीं है। अक्सर पुलिस फरियादी की समस्या भवन के बाहर पेड़ के नीचे सुनते नजर आती है। कुल मिलाकर पुराने भवन में पुलिस को कई तरह की व्यवहारिक और प्रशासनिक समस्याओं से जूझना पड़ रहा है।
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फैक्ट फाइल
वृद्धाश्रम भवन की कुल स्वीकृत लागत : 319 लाख
जिला दिव्यांग एवं पुनर्वास केंद्र की स्वीकृत लागत : 299.99 लाख
कैंट थाने की कुल स्वीकृत लागत: 76 लाख

