मल्टी लेबल पार्किंग खुलने की बनी थी योजना
आरटीओ कार्यालय के बंद होने के बाद जिला न्यायालय से हटाई गई नेकी की दीवार की गुमटी यहां विस्थापित कराई गई। इसके साथ ही पार्किंग व्यवस्था स्थापित की गई। नगर पालिका ने बाजार में वाहनों से लगने वाले जाम की स्थिति खत्म करने के उद्देश्य से इस भूमि समेत बापू पार्क और पशु चिकित्सालय हाट रोड परिसर की भूमि को मल्टी लेबल पार्किंग के लिए आरक्षित की गई थी। यहां मल्टी लेबिल पार्किंग बनती कि इससे पहले इस भूमि को बेचने की रापनि और प्रदेश सरकार ने रणनीति तैयार की।
64 करोड़ में हुई थी नीलाम
सूत्र बताते हैं कि सन् 2020-2021 में रोडवेज के इस बस स्टेण्ड की भूमि और बीनागंज में भी रोडवेज की भूमि को बेचने के टेण्डर जारी हुए। गुना रोडवेज बस स्टेण्ड की भूमि का सरकार ने मूल्य 14 करोड़ 75 लाख रुपए तय किया था। इसके तहत फरवरी 2021 में टेण्डर भाजपा के वरिष्ठ नेता अशोक रघुवंशी के नाम से खुला था, जिनकी नीलामी राशि 63 करोड़ सबसे अधिक थी। कोरोना के संक्रमण काल की वजह से उक्त भाजपा नेता पैसे जमा नहीं करा पाए, जबकि उन्होंने पैसा जमा करने के लिए प्रदेश सरकार व संबंधित विभाग को एक पत्र लिखकर छह माह का समय मांगा था। प्रदेश सरकार नीलामी का पैसा जमा करने के लिए 15 दिन से ज्यादा समय देने को तैयार नहीं थी। सरकार और संबंधित विभाग ने पैसा जमा करने के लिए छह माह का समय नहीं दिया और उक्त संपत्ति की री टेण्डर कराने की तैयारी कर ली।
शासन को लगी 31 करोड़ की चपत
सूत्रों ने जानकारी दी कि शासन ने समय न देकर इस संपत्ति को नीलाम के जरिए बेचने की प्रक्रिया अपनाई, इसकी बोली 14 करोड़ 75 लाख रुपए पुन: तय की। कुछ माह पूर्व इस संपत्ति को नीलामी के जरिए खरीदी जाने वाली की संस्था गुना इंडियन बिल्डकॉन ने टेण्डर डाला। इस कंपनी में राजनेता, धन्नासेठ, ठेकेदार और व्यापारी आधा दर्जन से अधिक लोग शामिल हैं। इसके अलावा इसी कंपनी के दूसरे लोगों ने दूसरे नाम से टेण्डर डाले। अंत में इसी कंपनी के नाम से टेण्डर खुला जिसकी राशि 32 करोड़ रुपए तय हुई, जबकि पूर्व की नीलाम राशि से आधी आई। सरकार को पूर्व में बिकी 63 करोड़ रुपए की आधी राशि31 करोड़ की आर्थिक चपत लग गई। इसके बाद भी इसी कंपनी को यह संपत्ति बेचने का निर्णय कर दिया। आम जन के बीच चर्चा है कि यह जमीन नीलामी के जरिए कुछ समय पहले ही बिकी इस भूमि का शहर के एक बड़े व्यक्ति से 52 करोड़ में सौदा हो गया है।
जन सुविधा केन्द्र हटने का विरोध
आरटीओ कार्यालय के बंद होने के बाद जिला न्यायालय से हटाई गई नेकी की दीवार की गुमटी यहां विस्थापित कराई गई। इसके साथ ही पार्किंग व्यवस्था स्थापित की गई। नगर पालिका ने बाजार में वाहनों से लगने वाले जाम की स्थिति खत्म करने के उद्देश्य से इस भूमि समेत बापू पार्क और पशु चिकित्सालय हाट रोड परिसर की भूमि को मल्टी लेबल पार्किंग के लिए आरक्षित की गई थी। यहां मल्टी लेबिल पार्किंग बनती कि इससे पहले इस भूमि को बेचने की रापनि और प्रदेश सरकार ने रणनीति तैयार की।
64 करोड़ में हुई थी नीलाम
सूत्र बताते हैं कि सन् 2020-2021 में रोडवेज के इस बस स्टेण्ड की भूमि और बीनागंज में भी रोडवेज की भूमि को बेचने के टेण्डर जारी हुए। गुना रोडवेज बस स्टेण्ड की भूमि का सरकार ने मूल्य 14 करोड़ 75 लाख रुपए तय किया था। इसके तहत फरवरी 2021 में टेण्डर भाजपा के वरिष्ठ नेता अशोक रघुवंशी के नाम से खुला था, जिनकी नीलामी राशि 63 करोड़ सबसे अधिक थी। कोरोना के संक्रमण काल की वजह से उक्त भाजपा नेता पैसे जमा नहीं करा पाए, जबकि उन्होंने पैसा जमा करने के लिए प्रदेश सरकार व संबंधित विभाग को एक पत्र लिखकर छह माह का समय मांगा था। प्रदेश सरकार नीलामी का पैसा जमा करने के लिए 15 दिन से ज्यादा समय देने को तैयार नहीं थी। सरकार और संबंधित विभाग ने पैसा जमा करने के लिए छह माह का समय नहीं दिया और उक्त संपत्ति की री टेण्डर कराने की तैयारी कर ली।
शासन को लगी 31 करोड़ की चपत
सूत्रों ने जानकारी दी कि शासन ने समय न देकर इस संपत्ति को नीलाम के जरिए बेचने की प्रक्रिया अपनाई, इसकी बोली 14 करोड़ 75 लाख रुपए पुन: तय की। कुछ माह पूर्व इस संपत्ति को नीलामी के जरिए खरीदी जाने वाली की संस्था गुना इंडियन बिल्डकॉन ने टेण्डर डाला। इस कंपनी में राजनेता, धन्नासेठ, ठेकेदार और व्यापारी आधा दर्जन से अधिक लोग शामिल हैं। इसके अलावा इसी कंपनी के दूसरे लोगों ने दूसरे नाम से टेण्डर डाले। अंत में इसी कंपनी के नाम से टेण्डर खुला जिसकी राशि 32 करोड़ रुपए तय हुई, जबकि पूर्व की नीलाम राशि से आधी आई। सरकार को पूर्व में बिकी 63 करोड़ रुपए की आधी राशि31 करोड़ की आर्थिक चपत लग गई। इसके बाद भी इसी कंपनी को यह संपत्ति बेचने का निर्णय कर दिया। आम जन के बीच चर्चा है कि यह जमीन नीलामी के जरिए कुछ समय पहले ही बिकी इस भूमि का शहर के एक बड़े व्यक्ति से 52 करोड़ में सौदा हो गया है।
जन सुविधा केन्द्र हटने का विरोध
सरकार के अधीन यह भूमि आ जाने के बाद यहां लाखों रुपए खर्च कर नगर पालिका ने जन सुविधा केन्द्र का निर्माण करवाया था। इस केन्द्र के आसपास प्रतिदिन बीस-पच्चीस से अधिक बसों का स्टॉप होता है। इस जन सुविधा केन्द्र के बन्द होने के बाद पत्रिका ने वहां कुछ लोगों से चर्चा की तो उनका कहना था कि जन सुविधा केन्द्र को तोड़ा न जाना चाहिए, बस के यात्री और हम लोग शौचालय के लिए कहां जाएंगे।
जमीन करा रहे हैं खाली
नीलाम लेने वाली कंपनी को यह जगह खाली कराकर प्रशासन व नगर पालिका को देना है। उस अनुबंध के अनुसार यह भूमि खाली कराई जा रही है। भूमि खाली कराने की प्रक्रिया शुरू होते ही वहां विरोध के स्वर तेज होते जा रहे हैं। इसकी वजह यहां बसों के खड़े होना भी खत्म हो जाएगा और यहां के दुकानदारों का रोजगार भी छिन जाएगा।
इनका कहना है
- राज्य शासन ने जो नीलाम राशि निर्धारित की थी उसके अनुसार ही हमारी कंपनी गुना इंडिया बिल्डकॉन ने यह संपत्ति खरीदी है। उस कंपनी में मेरे अलावा आधा दर्जन से अधिक लोग शामिल हैं। खाली कराकर स्थानीय प्रशासन को देना है तो वो खाली करा रहा है।
गुलशन डाबर गुना इंडिया बिल्डकॉन
-मैंने यह राशि 63 करोड़ में नीलाम के जरिए खरीदी थी। कोरोना संक्रमण काल की वजह से मैंने छह माह का समय पैसा जमा करने के लिए आवेदन के जरिए मांगा था, राज्य शासन केवल 15 दिन का समय दे रहा था। मेरी 30 लाख रुपए की सिक्योरिटी जमा है,वो अभी वापस नहीं मिली है। मेरी नीलाम राशि से आधी राशि में प्रदेश शासन ने कैसे यह संपत्ति दे दी। इस बारे में मैं कुछ नहीं कह सकता।
अशोक रघुवंशी गुना
जमीन करा रहे हैं खाली
नीलाम लेने वाली कंपनी को यह जगह खाली कराकर प्रशासन व नगर पालिका को देना है। उस अनुबंध के अनुसार यह भूमि खाली कराई जा रही है। भूमि खाली कराने की प्रक्रिया शुरू होते ही वहां विरोध के स्वर तेज होते जा रहे हैं। इसकी वजह यहां बसों के खड़े होना भी खत्म हो जाएगा और यहां के दुकानदारों का रोजगार भी छिन जाएगा।
इनका कहना है
- राज्य शासन ने जो नीलाम राशि निर्धारित की थी उसके अनुसार ही हमारी कंपनी गुना इंडिया बिल्डकॉन ने यह संपत्ति खरीदी है। उस कंपनी में मेरे अलावा आधा दर्जन से अधिक लोग शामिल हैं। खाली कराकर स्थानीय प्रशासन को देना है तो वो खाली करा रहा है।
गुलशन डाबर गुना इंडिया बिल्डकॉन
-मैंने यह राशि 63 करोड़ में नीलाम के जरिए खरीदी थी। कोरोना संक्रमण काल की वजह से मैंने छह माह का समय पैसा जमा करने के लिए आवेदन के जरिए मांगा था, राज्य शासन केवल 15 दिन का समय दे रहा था। मेरी 30 लाख रुपए की सिक्योरिटी जमा है,वो अभी वापस नहीं मिली है। मेरी नीलाम राशि से आधी राशि में प्रदेश शासन ने कैसे यह संपत्ति दे दी। इस बारे में मैं कुछ नहीं कह सकता।
अशोक रघुवंशी गुना