इसके अलावा पार्क में फिसल पट्टी को लगा दी गई, इसमें यह ध्यान नहीं रखा गया कि फिसलकर नीचे आने पर बच्चे चोटिल हो सकते हैं। दरअसल, फिसल पट्टी पर लगाते समय इस बात का ध्यान नहीं रखा गया कि बच्चे फिसलने के बाद नीचे गिरते समय सुरक्षित रहें। नीचे बड़े-बड़े पत्थर बिछे होने के कारण दुर्घटना की आशंका बनी रहती है। कुछ बच्चे चोटिल भी हो चुके हैं। इतना ही नहीं पार्क में दिनभर असामाजिक तत्वों का जमावड़ा लगा रहने से स्थानीय रहवासियों को यहां आने में डर का वातावरण महसूस होता है।
पार्क की स्थिति यह है कि ज्यादातर ताला लगा रहता है। लोग दीवार फांदकर प्रवेश करते हैं, लेकिन वातावरण देखकर वापस चले जाते हैं। पार्क में लगी नेहरू जी की प्रतिमा भी जर्जर हालत में पहुंचती जा रही है।
वीरान पड़े रहते हैं शहर के पार्क असामाजिक तत्वों का जमावड़ा
शहर के अन्य पार्कों की स्थिति भी कुछ खास ठीक नहीं है। सबसे पॉश कॉलोनियों में शामिल सोनी कॉलोनी में बना इंदिरा पार्क पूरी तरह वीरान हो चुका है। काफी कम जगह में बने इस पार्क में न तो झूले हैं और न ही बैठने के लिए कुर्सियां हैं। इसके अभाव में लोग फुर्सत के पलों में कालोनी से बाहर दूसरे ठिकाने तलाशते हैं। पार्क स्थिति देखकर लगता है मानो कॉलोनी काटते समय सिर्फ खानापूर्ति के लिए कोई कोना छोड़ दिया गया हो।
वहीं इसके पास ही स्थित धाकड़ कॉलोनी में भी पार्क जर्जर हालत में पड़ा है। कॉलोनी का गंदा पानी पार्क में जाने से इसमें दलदल जैसी स्थिति निर्मित हो गई है। इसी तरह आदर्श कॉलोनी में भी बना पार्क पूरी तरह वीरान हो चुका है। इस पार्क में चारों तरफ बाउंड्रीवाल होने के बावजूद संसाधन उपलब्ध नहीं हो सके हैं। इसी तरह दुर्गा कालोनी में बने पार्क की स्थिति भी ठीक नहीं हैं। इसमें कुछ कुर्सियां जरूर रखवाई हैं, लेकिन झूले और फिसल पट्टी नहीं होने से बच्चे पार्क का आनंद नहीं ले सकते हैं।
कॉलोनीवासियों ने विकसित किया पार्क
पार्कों के प्रति नपा की उदासीनता इसी बात से प्रमाणित होता है कि सिसौदिया कॉलोनी के रहवासियों को अपना पार्क खुद के प्रयासों से विकसित किया। इस पार्क के जीर्णोद्वार के लिए आपसी सहयोग से 6 लाख रुपए की राशि भी जुटाई गई। इस राशि से पार्क में सुंदर कुर्सियां, झूले एवं ग्रासयुक्त फर्स का निर्माण किया गया है। यह पार्क नपा द्वारा बनाए गए शहर के अन्य पार्कों से कहीं ज्यादा खूबसूरत दिखाई देता है। पार्क में सुबह शाम बड़ी संख्या में कॉलोनी के लोग आते हैं।