जिससे यहां से निकलने वालों को हमेशा खतरा बना रहेगा। साथ ही बारिश के दौरान तो हादसा होने की पूरी संभावना रहती है। क्योंकि बारिश के दौरान सड़क पर इतना पारी भर जाता है कि मार्ग नजर नहीं आता है। ऐसे में वाहन चालक पुलिया से बाहर निकल जाते हैं और दुर्घटनाग्रस्त हो जाते हैं।
जानकारी के मुताबिक शहर में कई ऐसे इलाके हैं जहां पुलिया तो बना दी गई हैं लेकिन इनकी बाउंड्रीवॉल करने की आज तक सुध नहीं ली गई है। इस तरह के स्थान बूढ़े बालाजी को जाने वाला मार्ग, कैंट स्थित शहरी प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र के सामने से होकर निकली रोड तथा घोसीपुरा से होकर रेलवे स्टेशन जाने वाला मार्ग में जो पुलिया हैं, वह बेहद खतरनाक है। क्योंकि पुलिया की ऊंचाई काफी कम है। ऐसे में बारिश के दौरान दुर्घटना की आशंका काफी प्रबल रहती है।
नालों को लोगों ने बनाया सीवर चैंबर
नगरीय इलाके में जितने भी नालें हैं वह इस समय बेतहाशा गंदगी से पटे हुए हैं। जब भी कोई इन मार्गांे से होकर गुजरता है तो उसे बेहद तीव्र गंध का सामना करना पड़ता है। क्योंकि नाले किनारे मकान बनाकर रहने वाले लोगों ने अपने शौचालयों के सीवर चैंबर नाले में खोल दिए हैं। नियमानुसार तो यह कृत्य कानून दंडनीय अपराध है और इस मामले में नपा को कार्रवाई किया जाना चाहिए।
नालों पर अतिक्रमण कर बन रहे मकान
नपा व प्रशासनिक अधिकारियों के उदासीन रवैए के चलते नालों पर लगातार अतिक्रमण बढ़ता ही जा रहा है। लोग नाले किनारे खाली पड़ी जमीन पर मकान बनाकर रहने लगे हैं तो कुछ ने तो इस हिस्से में शौचालय बनाकर सीवर नाले में ही कर दिए हैं। इस तरह के अतिक्रमण से लगातार नाले सिकुड़ते जा रहे हंै। यह स्थिति बारिश के दौरान विस्फोटक साबित हो सकती है। क्योंकि तेज बारिश में जब पानी को निकलने पर्याप्त रास्ता नहीं मिलेगा तो वह लोगों के घरों में घुस जाएगा, जो बाढ़ का रूप धारण कर सकता है।
कैंट इलाके में मेरी सलून की दुकान है। जहां मुझे अपने घर से कई बार दुकान तक जाना होता है। रास्ते में अस्पताल के पास जो पुलिया पड़ती है, उसकी बाउंड्री वॉल न होने से हमेशा डर लगा रहता है कि कहीं बड़े वाहन के चक्कर में बाइक सवार असंतुलित होकर पुलिया से नीचे न गिर जाएं। यह खतरा बारिश में और ज्यादा बढ़ जाता है। इसलिए बाउंड्री वॉल का होना बेहद जरूरी है।
रामसेवक सेन, सलून संचालक