कोरोना काल और लॉक डाउन का असर बाजार पर
बिल्डिंग मटेरियल से जुड़े व्यवसायियों के मुताबिक कोरोना काल और लॉक डाउन का बाजार पर जो असर पड़ा है उससे अभी भी वह उबर नहीं पाया है। हालांकि शासन-प्रशासन द्वारा दी गई रियायतों के कारण धीरे-धीरे चीजें सामान्य होने लगी हैं। लेकिन फिर भी अन्य कारणों के चलते दामों में तेजी बनी हुई है। ईंट, गिट्टी, रेत,भसुआ, सरिया के दाम लगातार बढ़ते जा रहे हैं।
पड़ौसी जिले की खदानें बंद होने से बढ़े रेत के भाव
गुना जिले में रेत की खदानों के ठेके हो गए हैं, ठेकेदार के कारिंदे जगह-जगह बैठ गए हैं, जिसकी वजह से रेत यहां आने वाली रेत शिवपुरी जिले से आती थीए जहां कोरेाना काल के बाद से रोक लगी है। जो भी रेत आ रही है वह चोरी छिपे आ रही है। इसी बजह से वह महंगे दामों में बिक रही है।
दाम बढऩे पर बीच में ही काम छोड़ा
शहर के कैंट क्षेत्र में अपना मकान बनवा रहे रामजीलाल, ओपी सोनी, मनोज भार्गव आदि ने बताया कि उन्होंने अपने मकान का काम कोरोना काल से पहले शुरू किया था। जैसे ही कोरोना काल शुरू हुआ और लॉक डाउन लग गया। इस वजह से कई माह तक काम रुका रहा। लेेकिन जैसे ही भवन निर्माण की अनुमति मिली तो बिल्डिंग मटेरियल मिलना मुश्किल हो गया। जो मिल रहा था वह काफी ऊंचे दामों पर दे रहे थे। इसी तरह बजरंगगढ़ में प्रधानमत्री आवास योजना के तहत अपना मकान बना रहे राजाराम ने बताया कि जितने पैसे सरकार दे रही है उस बजट में इस महंगाई के हिसाब से मकान बनाना काफी महंगा साबित हो रहा है। इसलिए फिलहाल उन्होंने मकान निर्माण बीच में ही छोड़ दिया है।
कैसे पूरा होगा पीएम आवास
मकान निर्माण में लगने वाली सामग्रियों के बढ़ते दाम के बाद अब प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत बनने वालों मकानों पर ब्रेक लगता नजर आ रहा है। शहरी एवं ग्रामीण क्षेत्र में शासन द्वारा ऐसे लोगों को इस योजना का लाभ दिया जा रहा है जिनके पास खुद की जमीन है और वह उसमें भवन का निर्माण कराना चाहते हैं। ग्रामीण क्षेत्रों में अभी तक 1 लाख 20 हजार रुपए तथा शहरी क्षेत्र में ढाई लाख रुपए प्रति हितग्राही दिया जाता है। उक्त राशि से दो कमरा, लेट्रिन बाथरूम एवं टैंक का निर्माण करना आवश्यक है। शासन द्वारा यह राशि किश्तों में दी जाती है। अब जब दाम काफी ज्यादा बढ़ गए हैं तो ऐसे में प्रधानमंत्री आवास योजना के अधूरे भवन कैसे पूरे हो पाएंगे, इस संबंध में अधिकारी कुछ भी कहने से बच रहे हैं।
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लॉक डाउन से पहले और अब
सरिया 5३००-57०० प्रति क्विंटल
ईट 42०० से 5०००रुपए प्रति ट्रॉली
छत वाला भसुआ छह से सात हजार रुपए 1०० फुट ट्राली में
प्लास्टर भसुआ साढ़े छह हजार से आठ हजार रुपए प्रति ट्रॉली
गिट्टी 2०००-25०० रुपए प्रति ट्रॉली
काली बजरी 35०० से 4000 रुपए प्रति ट्रॉली