पशुपालन विभाग द्वारा आयोजित जिला स्तरीय गोपाल पुरस्कार प्रतियोगिता कार्यक्रम किसानों को किया पुरस्कृत
गुना उन्नत नस्ल की देशी गायों को पालने और अधिक से अधिक दुग्ध उत्पादन की होड़ होनी चाहिए। देशी गाय का दूध मानसिक एवं शारीरिक विकास के लिए बहुत उपयोगी होता है। इसमें भरपूर मात्रा में प्रोटीन रहता है। गाय के दूध के इस्तेमाल से बच्चों का जैसा पोषण होता है, वैसा अन्य पशुओं के दूध से नहीं हो पाता।
यह बात जिला पंचायत अध्यक्ष अर्चना चौहान ने पशुपालन विभाग द्वारा आयोजित जिला स्तरीय गोपाल पुरस्कार प्रतियोगिता कार्यक्रम में कही। उन्होंने कहा, इसलिए पशुपालकों को चाहिए कि वे अच्छी नस्ल की देशी गाय पालें। उन्होंने गायों को खुला छोड़ देने पर चिंता जताते हुए कहा कि गायों को सड़कों पर खुला छोड़ दिया जाता है, जिससे वे तिरस्कृत हो रही हैं। आज हमें गायों के प्रति अपनी सोच में बदलाव लाने की जरूरत है।
अगर हम गायों के प्रति अच्छी सोच रखेंगे, तो हम तरक्की के पथ पर जाएंगे। विधायक पन्नालाल शाक्य ने कहा कि दुधारू पशुओं के दूध की तुलना में देशी नस्ल की गायों के दूध में विशेष गुण होते हैं। इसलिए अधिक से अधिक पशुपालकों को अधिक संख्या में देशी गायों को पालना चाहिए। शाक्य ने कहा कि आज गायों के संवर्धन के लिए चिंतन करने की जरूरत है। जो लोग चरनोई भूमि पर काबिज हैं, उन्हें उसमें से गौशाला निर्माण के लिए भूमि देनी चाहिए। जिला स्तरीय पुरस्कार पाने वाले गोपालक भगतसिंह धाकड़ ने कहा, अच्छी नस्ल की देशी गायों का पालन किया जाना चाहिए। कार्यक्रम को उपसंचालक पशु चिकित्सा डॉ. एससी शर्मा ने भी सम्बोधित किया। इस अवसर पर जिला स्तरीय गोपाल पुरस्कार प्रतियोगिता के विजेताओं में राजनारायण सिंह धाकड़ को 50 हजार रुपए का प्रथम पुरस्कार, भगत सिंह धाकड़ को 25 हजार का द्वितीय पुरस्कार और जगमोहन सिंह यादव को 15 हजार का तृतीय पुरस्कार दिया गया। इसके अलावा सात गौपालकों को पांच-पांच हजार रुपए के सांत्वना पुरस्कार भी दिए।