ऐसे लोगों से पत्रिका ने चर्चा की। साइकिलिंग के क्षेत्र में गुना के ब्रांड एंबेसडर की पहचान है आशीष गलगले की। एक समय था जब परिवार के एक सदस्य के पास साइकिल जरुर होती थी लेकिन वर्तमान में मुश्किल से मिल पाती है। ऐसे समय में आशीष गलगले की साइकिलिंग के क्षेत्र में ब्रांड एंबेसडर के रुप में पहचान बन गई है। आशीष पेशे से सरकारी शिक्षक हैं। लेकिन शरीर को स्वस्थ्य रखने पांच वर्षों से साइकिलिंग कर रहे हैं। अभी तक वे 67000 किमी साइकिलिंग कर चुके हैं। जिसमें गुना से अयोध्या, कटरा से कन्याकुमारी प्रमुख राइड है।
विश्व साइकिल दिवस पर जिले वासियों को प्रेरणा देने पत्रिका ने ऐसे लोगों को खोजा, जिनकी दिनचर्या ही दूसरे लोगों को प्रेरित करने का काम कर रही है। ऐसे ही एक शख्स हैं पशु चिकित्सा विभाग से रिटायर हुए नारायण सिंह लोधा। जिनकी उम्र 64 साल है। उन्होंने बताया कि उनका वेतन 46 हजार के करीब था। लेकिन हमेशा उन्होंने अपने स्वास्थ्य को सर्वोपरि रखकर साइकिल को अपनी दिनचर्या में शामिल कर हमेशा आफिस इसी से आना जाना रखा। जिसका लाभ आज भी उन्हें मिल रहा है। पूरे समय ऑफिस में बैठकर काम करते हैं। जिला शिक्षा अधिकारी कार्यालय में पदस्थ प्रकाश सिंह चौहान ने बताया कि वे यहां सहायक ग्रेड-3 के पद पर हैं। यहां उन्हें पूरे समय कुर्सी पर बैठकर ही काम करना पड़ता है। इसलिए शारीरिक रूप से काफी दिक्कतें आती हैं। इसको दूर करने के लिए ही उन्होंने साइकिल से ऑफिस आना-जाना शुरू किया जो लगातार जारी है। उनका कहना है कि जो बच्चे स्कूल में पढ़ते हैं उन्हेें भी साइकिल से आना जाना करना चाहिए। जो शरीर के साथ पर्यावरण के लिए फायदेमंद है। इसी तरह एक सरकारी विभाग में पदस्थ कार्यपालन यंत्री प्रमोद श्रीवास्तव जिनकी उम्र 62 साल है, वे भी सुबह के समय नियमित साइकिल चलाते हैं।
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विश्व साइकिल दिवस पर जिले वासियों को प्रेरणा देने पत्रिका ने ऐसे लोगों को खोजा, जिनकी दिनचर्या ही दूसरे लोगों को प्रेरित करने का काम कर रही है। ऐसे ही एक शख्स हैं पशु चिकित्सा विभाग से रिटायर हुए नारायण सिंह लोधा। जिनकी उम्र 64 साल है। उन्होंने बताया कि उनका वेतन 46 हजार के करीब था। लेकिन हमेशा उन्होंने अपने स्वास्थ्य को सर्वोपरि रखकर साइकिल को अपनी दिनचर्या में शामिल कर हमेशा आफिस इसी से आना जाना रखा। जिसका लाभ आज भी उन्हें मिल रहा है। पूरे समय ऑफिस में बैठकर काम करते हैं। जिला शिक्षा अधिकारी कार्यालय में पदस्थ प्रकाश सिंह चौहान ने बताया कि वे यहां सहायक ग्रेड-3 के पद पर हैं। यहां उन्हें पूरे समय कुर्सी पर बैठकर ही काम करना पड़ता है। इसलिए शारीरिक रूप से काफी दिक्कतें आती हैं। इसको दूर करने के लिए ही उन्होंने साइकिल से ऑफिस आना-जाना शुरू किया जो लगातार जारी है। उनका कहना है कि जो बच्चे स्कूल में पढ़ते हैं उन्हेें भी साइकिल से आना जाना करना चाहिए। जो शरीर के साथ पर्यावरण के लिए फायदेमंद है। इसी तरह एक सरकारी विभाग में पदस्थ कार्यपालन यंत्री प्रमोद श्रीवास्तव जिनकी उम्र 62 साल है, वे भी सुबह के समय नियमित साइकिल चलाते हैं।
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5 साल में दोगुनी हुई साइकिल की कीमत वर्तमान में गुना शहर में मात्र 4 ही बड़ी साइकिल की दुकानें हैं। इन पर 1100 रुपए से 16 हजार रुपए तक की साइकिल मौजूद है। वर्षों से इसी पेशे में लगे दुकानदार ने बताया कि आज से पांच साल पहले जिन साइकिल की कीमत 2200 से 2500 रुपए थी आज 4 से 6 हजार तक हो गई है। कुल मिलाकर कीमत में दोगुना इजाफा हुआ है।