गांव में मृत्यु भोज और जुआ बंद, लोगों ने चिलम-तम्बाकू भी छोड़ा
गुना (जामनेर). एक ओर जहां कोरोना वायरस के खतरे को रोकने लॉक डाउन से जन जीवन अस्त-व्यस्त पड़ा है। वहीं, इसके सकारात्मक बदलाव भी सामने आए हैं। उनमें सबसे ज्यादा सामाजिक बदलाव गांवों में देखने को मिल रहे हैं। गांवों में जहां चौपालों पर चिलम और तंबाकू का चलन कम हुआ है, तो जुआ खेलने की आदतों में सुधार आया है।
पत्रिका ने जामनेर की पड़ताल की तो यहां लोग लॉक डाउन का पालन करते दिखे। लोग बाजार में जरूरी सामग्री लेने के बाद घरों में चले जाते हैं। चौपाल, दलान और घरों के आगे की बैठक व्यवस्थाएं सूनी हैं।
ये देखने को मिला
कस्बे के सत्य नारायण साहू अपने बच्चों को कई तरह के वाद्य यंत्रों का बजाना सिखा रहे हैं। बच्चे भी बड़ी शिद्दत से इन सब क्रियाकलापों में अपनी पूरी रुचि लेकर सीखने का प्रयास कर रहे हैं। जिन घरों में धार्मिक पुस्तके हैं। वे पढ़कर अपना समय काट रहे हैं। उधर, इन दिनों में कई किसान फसल कटाई से भी फ्री हो गए हैं और शादी समारोह नहीं होने से उनको कहीं जाना भी नहीं है। खासकर बुजुर्गों का साथ बच्चों को मिलने लगा है। लोग फिर से दादा-नाना की कहानी और किस्सों की ओर लौटने लग गए हैं।
गांवों में ये बदलाव आए सामने
मृत्यु भोज: लॉक डाउन में मृत्यु भोज के आयोजन नहीं हो पाए। कई समाज में मृत्यु भोज बंद कराने प्रयास चल रहा है। उससे इतना बदलाव नहीं दिखा, जितना लॉक डाउन में सख्ती से देखने को मिला।
मद्यपान निषेध: शराब पर प्रतिबंध है। घर पर रहने से कई लोग शराब पीने की आदत से भी बाहर आ गए।
जुआ: गांवों में जुआ खेलना लगभग बंद है। सोशल डिस्टेंस का पालन कराने लोग दूर रहते हैं। इससे इस बुराई पर भी अंकुश लग गया है। उधर, पुलिस भी लगातार गश्त कर रही है।
मनोरंजन: लोग सड़कों और चौपालों पर नहीं है। घरों में ही मनोरंजन के लिए गतिविधि कर रहे हैं। कई लोग वाद्य यंत्रों के साथ गीत-गजल सीख रहे हैं।