स्थानीय ग्रामीणों के मुताबिक वर्तमान में धरनावदा बस स्टैंड पर लगा एक मात्र सरकारी बोर पानी देने की स्थिति में है। इसलिए गांव के सभी नागरिक इसी पर निर्भर हैं। यही कारण है कि इस बोर पर पूरे समय अत्याधिक भीड़ रहती है। लोगों को अपनी बारी आने के लिए कई घंटे तक खड़े रहकर इंतजार करना पड़ता है। कई बार पानी भरने को लेकर लोगों को विवाद भी हो जाता है।
इसलिए गंभीर हुआ जल संकट
पंचायत में जल संकट की स्थिति गंभीर होने का कारण अधिकांश हैंडपंपों का दम तोडऩा है। क्योंकि इन्हीं हैंडपंपों से अधिकांश लोग पानी भरते थे। लोगों का कहना है कि कई हैंडपंप ऐेसे हैं जिनमें यदि सिंगल फेस की मोटर डाल दी जाए तो काफी हद तक जल समस्या को कम किया जा सकता है। लेकिन अभी तक पीएचई के जिम्मेदार अधिकारियों ने न तो इन हैंडपपंपों में पाइप लाइन बढ़ाई है और न ही सिंगल फेस मोटर डालने की जेहमत उठाई है। मजबूरी में ग्रामीण गांव से काफी दूर खेतों में लगे बोर से पानी भरने को मजबूर हैं।
–
बस स्टैंड स्थित ट्यबवैल के अलावा गांव से बाहर खेतों मेंं लगे बोर ही पानी दे रहे हंै। लेकिन दूरी अधिक होने की वजह से कई लोग यहां से पानी नहीं भर पाते हंै। जिनके पास वाहन उपलब्ध हैं वे तो किसी तरह पानी भर लाते हैं लेकिन साधन विहीन लोग पानी नहीं भर पा रहे हैं।
–
गांव में इस समय पेयजल संकट की यह स्थिति है कि सुबह 5 बजे से महिलाएं, पुरुष व बच्चे पानी भरने में लग जाते हैं।
क्योंकि एक ही बोर होने के कारण लाइन में लक कर पानी भरना पड़ता है। इसमें जिस व्यक्ति को अपनी मजदूरी पर जाना हो या किसी काम पर जाना है तो उसको अपना काम छोड़कर पानी ही भरना पड़ेगा। ऐसी स्थिति में काम तो कर ही नहीं सकता।
–
अधिकारी कर्मचारी बना रहे आचार संहिता का बहाना
ग्रामीणों का कहना है कि गंभीर जल संकट से जूझ रहे लोग जब शिकायत करने पीएचई कार्यालय पहुंचे तो वहां कुछ अधिकारी कर्मचारियों ने समस्या निराकरण में आचार संहिता को रोड़ा बताया। ऐसे में ग्रामीणों का तर्क है कि आचार संहिता लगी है तो क्या लोग पानी पीना छोड़ दें।
–
यह बोले ग्रामीण
ग्राम पंचायत धरनावदा में पिछले कुछ महीनों से पानी की समस्या आ रही है। हम कई बार विभागीय अधिकारियों से बात कर चुके हैं लेकिन अभी तक पानी की कोई सुविधा नहीं की गई है। हमें बस स्टैंड पर लगे ट्यूबवेल से पानी भरकर लाना पड़ता है जो कि मेरे घर से आधे किमी दूर है। मेरे घर सरकारी नल लगा है लेकिन उसमें पानी नहीं आता।
मोहित जैन, नागरिक, ग्राम पंचायत धरनावदा
–
हमें रोज सुबह अपने व्यापार पर निकलना पड़ता है। इसलिए पानी नहीं भर पाते हैं। निजी खर्चे पर टैंकर डलवाना पड़ता है। लेकिन जिनके पास इतने पैसे नहीं हैं वे भीषण गर्मी में बहुत परेशान हो रहे हैं।
नरेंद्र कुमार जैन, नागरिक
–
ग्राम पंचायत धरनावदा में पिछले कुछ महीनों से जल संकट गहराया हुआ है लेकिन अभी तक जिम्मेदार विभाग ने कोई इंतजाम नहीं किए हैं।सबसे ज्यादा परेशानी तो महिलाओं को आती है जो घर का काम करें या बच्चों को भी संभालें। इसके बाद पानी लेकर आएं। क्योंकि पुरुष वर्ग अपने काम पर निकल जाता है।
नितिन कुमार शर्मा, नागरिक
–
मैं मोतीपुरा पावर प्लांट में काम करता हूं। जब से गांव में पानी की समस्या आई है तब से मैं प्लांट समय पर नहीं पहुंच पा रहा हूं क्योंकि पानी भरने के कारण रोज लेट हो जाता हूं। इस ओर अधिकारियों को ध्यान देना चाहिए।
रुपेश साहू, नागरिक
–
यह बोले जिम्मेदार
पंचायत की पेयजल समस्या को लेकर मैंने विभागीय अधिकारियों को लिखित रूप में अवगत करा दिया है। भू जल स्तर गिरने से गांव में आज यह स्थिति बनी है।
कृष्णगोपाल बैरागी, सरपंच
ग्राम पंचायत धरनावदा
–
वाटर लेवल कम है। सहायक यंत्री से मांग की थी। लेकिन उनका कहना है कि नई मोटर नहीं मिल पाएगी। जिले में बात कर लो। यदि आपके पास बजट हो तो खरीद लो, हम टीएस कर देंगे।
निरपथ सिंह चौहान, सचिव
ग्राम पंचायत धरनावदा