ऐसा ही मामला धाननखेड़ी का
ऐसा ही एक मामला हाल ही में झागर के शासकीय माध्यमिक विद्यालय धाननखेड़ी का सामने आया है, जहां के स्कूल की बच्चियां लंबे समय से झूठे बर्तन मांज रही हैं। वैसे तो धाननखेड़ी के अलावा कई ऐसे स्कूल हैं जहां भी बच्चियों से झूठे बर्तन के साथ-साथ झाडू तक लगवाई जा रही है। इसकी शिकायत के बाद भी उक्त स्कूल प्रबंधन के विरुद्ध कोई कार्रवाई करने को तैयार नहीं हैं। हमारे झागर संवाददाता जालम सिंह किरार के अनुसार झागर कस्बा के धाननखेड़ी स्थित शासकीय माध्यमिक विद्यालय में स्टॉफ के नाम पर केवल दो शिक्षक उपस्थित मिले।
यहां छोटी-छोटी बच्चियां जो अलग-अलग कक्षाओं की थी, वे अपनी झूठी थाली धो रहीं थीं। वहां मौजूद कुछ बच्चों से इस संबंध में पूछा गया तो उनका कहना था कि हम कई दिनों से धो रहे हैं। हम सबको अपने हाथ से ये बर्तन धोते हैं। इस विद्यालय में पानी का भी बहुत अभाव है। हमको पीने का पानी भी घर से लाना पड़ता है।
आंगनबाड़ी में मिले 130 में मात्र दस बच्चे
पत्रिका टीम जब धाननखेड़ी के आंगनबाड़ी केन्द्र में पहुंची तो वहां उनको हाजिरी रजिस्टर में 130 बच्चे अंकित थे, लेकिन उक्त आंगनबाड़ी में केवल दस बच्चे बैठे हुए दिखे। आंगनबाड़ी कार्यकर्ता यहां उपस्थित नहीं मिलीं, सहायिका मौजूद थी, जिसके बारे में पूछा गया तो उन्होंने किसी काम से बाहर जाने की बात कही। ग्रामीणों का कहना था कि ऐसे तो कई आंगनबाड़ी केन्द्र हैं जहां बच्चों की सं या रजिस्टर में जितनी दर्ज है, उतने कभी नहीं आए होंगे। यही स्थिति है दूसरे स्कूलों की: पिछले दिनों खेजरा में भी पत्रिका टीम गई थी वहां मिडिल स्कूल की बच्चियां बर्तन धोती हुई मिली थीं। वैसे तो यह स्थिति जिले के आधा सैकड़ा से अधिक स्कूलों की है जहां बच्चियों को झूठे बर्तन मांजना पड़ रहे हैं।
एक शौचालय का पूरी तरह गेट गायब
इस विद्यालय में शौचालय की स्थिति देखी गई तो एक शौचालय का गेट पूरी तरह टूटा हुआ था। वहीं एक शौचालय पूरी तरह गंदगी का शिकार था। उधर जिले में कई ऐसे स्कूल हैं जिनके शौचालय में या तो ताला लगा हुआ देखने को मिल जाएगा या जर्जर स्थिति में शौचालय देखने को मिल सकते हैं।
पानी और बिजली का भी है अभाव
धाननखेड़ी के इस विद्यालय में पीने के पानी के लिए यहां एक हैण्डपम्प भी लगा हुआ था, वह भी खराब पड़ा हुआ है। वैसे तो अधिकतर विद्यालयों में पीने के पानी के साथ-साथ बिजली के कनेक्शन तक नहीं हैं। इसके चलते बच्चे परेशान होते रहते हैं।
खाने की गुणवत्ता भी ठीक नहीं
बच्चों के खाने की स्थिति देखी गई तो खाने की गुणवत्ता भी ठीक नहीं थीं। जहां एक ओर रोटी कच्चियां थीं वहीं सब्जी के नाम पर केवल पानी और तेल नजर आ रहा था। उधर जहां खाना बन रहा था, वहां गंदगी नजर आई।
आवारा जानवरों का बना रहता है भय
बताया गया कि इस विद्यालय में छोटे-छोटे बच्चे अध्ययन करने आते हैं, यहां आवारा जानवरों का जमाव भी रहता है। एक-दो बार आवारा कुत्तों के काटने के शिकार हो चुके हैं।